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चंद्रयान-2 : लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्‍मीदें हो रही है खत्‍म



बेंगलुरु। जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित होने की उम्मीद खत्म हो जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक अब भी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके पास महज 7 दिन का समय बचा है। लैंडर विक्रम का कार्यकाल इतना (14 दिन) ही था और अब वह पूरी तरह निष्क्रिय हो जाएगा।

बता दें, 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग से लगभग 500 मीटर पहले ही लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था। लैंडर के अंदर ही रोवर प्रज्ञान है। यानी संपर्क नहीं हो पाता है तो विक्रम के साथ प्रज्ञान भी खत्म हो जाएगा।

लैंडर से संपर्क टूटने के बाद इसरो ने 8 सितंबर को कहा था कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने चंद्रमा की सतह पर पड़े लैंडर की तस्वीर कैद की है। ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्ष में चक्कर लगा रहा है।

इसरो के एक अधिकारी के अनुसार, गुजरते वक्त के साथ लैंडर से संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं। लैंडर में लगी बैटरी की क्षमता भी खत्म हो रही है। यदि लैंडर सही दिशा में होता तो उस पर लगे सोलर पैनल से बैटरी रिचार्ज हो सकती थी।

हार्ड लैंडिंग ने यूं बिगाड़ दिया खेल
लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग में विफलता के असल कारणों का पता लगाने के लिए इसरो को कई तरीके अपनाने होंगे, उससे मिले डाटा की जांच करनी होगी, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। गलत डाटा भी संपर्क टूटने का कारण हो सकता है, क्योंकि हार्ड लैंडिंग के चलते लैंडर विक्रम चांद की सतह पर दिशा सही नहीं है। इसके चलते भी उससे संपर्क स्थापित करने में मुश्किल हो रही है। हार्ड लैंडिंग से लैंडर को नुकसान पहुंचने की भी आशंका है।

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