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शिक्षक देते हैं विद्यार्थियों और समाज को नई दिशा : राज्यपाल श्री टंडन


 

राज्य-स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्यपाल 

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा है कि शिक्षक समाज को दिशा प्रदान करते हैं। भावी पीढ़ी के दार्शनिक, गणितज्ञ और वैज्ञानिकों का निर्माण करते हैं। शिक्षक जो करते हैं, वह कोई दूसरे व्यक्ति नहीं कर सकते। इसलिए शिक्षक सम्मानीय हैं। श्री टंडन आज यहां प्रशासन अकादमी में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने इंसपायर अवार्ड वर्ष 2018-19 विजेता शासकीय कन्या माध्यमिक शाला आश्रम, सामर बोह विकासखण्ड बिछुआ, जिला छिन्दवाड़ा की छात्रा कुमारी सुलोचना को पुरस्कृत किया। इस छात्रा द्वारा निर्मित आटोमेटिक टायलेट क्लिनिंग मशीन का मॉडल देश में प्रथम रहा। राज्यपाल ने समारोह की स्मारिका का विमोचन भी किया।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि गुरू के बिना ज्ञान और मार्गदर्शन संभव नहीं है। नये भारत के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश चांद पर पहुंच रहा है। प्रगति के नये कार्य और नवाचारों से देश की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनी है। यह हमारे शिक्षकों के प्रयासों का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि शिक्षक सम्मानीय हैं। उनका मान और स्वाभिमान बनाये रखना समाज की जिम्मेदारी है। श्री टंडन ने महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने देश के राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के पदों को सुशोभित किया। शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ही उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राज्यपाल ने शिक्षकों के प्रति आदरभाव अभिव्यक्त करते हुए उन्हें राजभवन में स्वागत के लिये आमंत्रित किया।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि शिक्षकों का मनोबल और मान बढ़ाने के निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। नगरीय निकाय, जनपद पंचायत, जिला पंचायत में लगभग एक लाख 76 हजार शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तरह वेतन, अवकाश आदि की सुविधा प्रदान की गई है। स्थानांतरण नीति में बदलाव कर दिव्यांगजन, पति-पत्नि, उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को उनकी पसंद के स्थान पर स्थांतरित कर उनका मनोबल बढ़ाया गया है। उन्होंने शिक्षकों को अन्य देशों की शिक्षा-पद्धति और नवाचारों को जानने-समझने के लिये विदेश भेजने की बात भी कही, जिससे प्रदेश में शैक्षणिक परिदृश्य और अधिक बेहतर हो सके।

राज्यपाल श्री टंडन ने राष्ट्रपति पुरस्कार वर्ष 2018-19 से सम्मानित डा. श्रीमती उषा खरे को सम्मानित किया। कार्यक्रम में 38 शिक्षकों को राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने भी सम्बोधित किया।

राजभवन में पुरस्कृत शिक्ष‍क सम्मानित

राज्यपाल श्री टंडन ने राजभवन में सम्मानित शिक्षकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान वर्षों पहले से पेपरलेस था। श्रुति और स्मृति की परंपरा ने हजारों वर्ष पुराने ज्ञान को संरक्षित किया है।

उन्होंने कहा कि हमारा देश सत्ता प्रधान नहीं, शिक्षा प्रधान था। नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से बड़ा पुस्तकालय आज भी दुनिया में नहीं है। आज के ज्ञान-विज्ञान की प्रगति और उपलब्धियों का आधार भारतीय शोध और अविष्कार है। उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे आधुनिक ज्ञान और विज्ञान के शिक्षण कार्य को देश की प्राचीन ज्ञान परंपरा के साथ जोड़ने का प्रयास करें।

 

करूणा राजुरकर

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