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नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में सशक्त संचार माध्यम विकसित करने की आवश्यकता


 

उग्रवाद का खात्मा करने राज्य सरकार प्रतिबद्ध: केन्द्र से सहयोग का आग्रह 
नक्सलवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक में श्री कमल नाथ 

मुख्यमंत्री श्री कमल-नाथ ने नक्सलवाद समाप्त करने में अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार माध्यमों को सशक्त बनाया जाना चाहिए ताकि सूचनाओं का संग्रहण त्वरित गति से हो सके और समय पर कार्रवाई संभव हो। श्री नाथ ने कहा कि राज्य में नक्सल समस्या को खत्म करने के सभी प्रयास किए गए हैं। उन्होंने इसके स्थाई समाधान के लिए राज्य और भारत सरकार के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता बताई। श्री कमल नाथ आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। बैठक में ग्यारह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया।

मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने  प्रदेश में नक्सलवाद से निपटने के लिये राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2000 में "हॉक" बल बनाया गया था । इसमें सहभागिता आधारित विकास नीतियों के कारण नक्सलवाद को केवल दो जिलों बालाघाट और मंडला की सीमा तक सीमित करने में सफलता मिली। राज्य पुलिस को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ समन्वय बनाने के निर्देश दिये गये हैं। पुलिस बल के आधुनिकीकरण पर अधिक जोर दिया गया है। वे आधुनिक गैजेट्स जैसे ट्रैकर्स, जीपीएस, ड्रोन, ट्रैप कैमरा, बॉडी प्रोटेक्टिव आर्मरेस और जंगल रिस्ट वाहनों से लैस हैं। उन्होंने ह्यूमन इंटेलीजेंस के साथ कपलिंग टेक्नोलॉजी की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री कमल नाथ ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष खुफिया शाखा बनाई गई है।

    श्री कमल नाथ ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खराब कनेक्टिविटी मुख्य मुद्दा है, जिससे सूचनाएँ संग्रह करने और आपस में साझा करने में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने बालाघाट और मंडला जिलों में कम से कम फोर-जी कनेक्टिविटी का प्रावधान करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि खराब टेलीफोन और मोबाइल नेटवर्क कव्हरेज के कारण नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार नेटवर्क, पुलिस वायरलेस पर बहुत अधिक निर्भर है। आदिवासी ब्लॉक में केवल 50 प्रतिशत टू-जी कनेक्टिविटी है। उन्होंने पीएमजीवाई के तहत डीएमजी को बालाघाट में दो सड़कों और एक पुल तथा मंडला जिलों में दो सड़कों और तीन पुलों के निर्माण के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव अनुसार 33 करोड़ 74 लाख रुपये मंजूर करने का अनुरोध किया। श्री कमल नाथ ने बालाघाट (बिरसा) के एक ब्लॉक और मंडला (मैनपुर, बीजाडांडी, मवई और मोहगाँव) के एक ब्लॉक में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्थापित करने के लिए वर्ष 2019-20 के लिए धनराशि को जल्द मंजूरी देने का अनुरोध किया।

     श्री कमल नाथ ने नागरिकों के वित्तीय समावेशन की आवश्यकता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बालाघाट और मंडला में प्रति लाख आबादी पर 6.6 बैंक शाखाएँ हैं, जबकि राज्य में औसत बैंक ब्रांच की संख्या 10.58 है। प्रति बैंक शाखा का क्षेत्रफल लगभग 102.5 वर्ग किमी है। राज्य का औसत 49 वर्ग किमी है।  ऐसी स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने इस वर्ष 16 अगस्त से 15 सितंबर 2019 तक राज्य के 89 आदिवासी ब्लॉकों में वित्तीय साक्षरता अभियान शुरू किया है। इस दौरान लगभग 30 वित्तीय साक्षरता शिविर आयोजित किए जाएंगे। मंडला और बालाघाट जिलों के 12 आदिवासी ब्लॉक भी इसमें शामिल हैं।

     श्री कमल नाथ ने बताया कि सरकार आदिवासियों के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। प्राप्त 6 लाख 26 हजार पट्टा दावा आवेदनों में से 2 लाख 66 हजार मामलों में अधिकार दिए गए हैं। उन सभी 3 लाख 66 हजार आवेदनों की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं, जो अपूर्ण दस्तावेज के कारण खारिज कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि सभी जिलों में 3 लाख 6 हजार लाख खारिज किए गए दावों के व्यापक, पारदर्शी और त्वरित निपटान के लिए 'वन मित्र' पोर्टल शुरू किया गया है।

मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती, पुलिस महानिदेशक श्री वी.के. सिंह और एडीजी पुलिस श्री जी.पी. सिंह भी बैठक में उपस्थित थे।

 

ए.एस.

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