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असम में NRC लागू करने पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर- यह भारत का अंदरूनी मामला



ढाका। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि असम में अवैध अप्रवासियों की पहचान और उनके दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया भारत का अंदरूनी मामला है। उन्होंने यह टिप्पणी अपने बांग्लादेशी समकक्ष एके अब्दुल मेमन के साथ तीस्ता जल बंटवारे और रोहिंग्या संकट जैसे मसलों पर वार्ता के बाद की। विदेश मंत्री दो दिवसीय यात्रा पर बांग्लादेश में हैं।

संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा
मेमन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) भारत का अंदरूनी मसला है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी महीने की शुरुआत में बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जामन खान के समक्ष पूर्वोत्तर में अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की थी। वह सातवीं भारत-बांग्लादेश गृह मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए दिल्ली में थे।

31 अगस्त को अंतिम सूची का प्रकाशन
जयशंकर ने उपरोक्त टिप्पणी ऐसे समय की है जब 31 अगस्त को असम में एनआरसी की अंतिम सूची का प्रकाशन होना है। जयशंकर ने लंबित तीस्ता जल संधि के मामले पर कहा कि भारत का रुख और प्रतिबद्धता अभी भी वही है जो पहले थी। बंगाल सरकार के राजी होते ही भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए तैयार है।

गौर करने योग्‍य ये तथ्‍य
- सितंबर, 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता जल समझौते पर हस्ताक्षर की पूरी तैयारी थी, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्ति के बाद उसे स्थगित कर दिया गया था।

- तीस्ता नदी का पानी बांग्लादेश के लिए बेहद अहम है, खास तौर पर दिसंबर से मार्च के बीच जब बहाव अस्थायी तौर पर 5,000 क्यूसेक से घटकर 1,000 क्यूसेक रह जाता है।

- जल बंटवारे के मसले पर जयशंकर ने कहा, 'हमें 54 साझा नदियों के लिए आपसी स्वीकार्य फॉर्मूले की दिशा में प्रगति की उम्मीद है।'

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