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अब रात में भी गंगा की लहरों पर दौडे़ंगे मालवाहक जहाज


वाराणसी। गंगा में मल्टी मॉडल टर्मिनल और हल्के जर्मन मालवाहक जहाजों के परिचालन के बाद अब रात में जल परिवहन का रास्ता तैयार हो रहा है। इसी साल दिसंबर तक नाइट नेविगेशन सिस्टम का काम पूरा हो जाएगा। जरूरी परीक्षण के बाद इसे जनवरी 2020 से शुरू करने की तैयारी चल रही है। पोत परिवहन मंत्रालय ने डिफ्रेंशियल पोजीशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) को बनारस के आगे चंदौली व बलिया में लगाने का काम तेज कर दिया है। यह तंत्र पटना, भागलपुर और स्वरूपगंज में पहले से काम कर रहा है।
गंगा पर परिवहन के लिए विश्वस्तरीय सूचना तंत्र भी लगाया जा रहा है। रात में जल परिवहन के लिए वाराणसी से पटना के बीच चार बेस स्टेशन और एक कंट्रोल स्टेशन की स्थापना की जाएगी, जबकि पूरे जलमार्ग में यह तकनीक हल्दिया से पटना तक काम कर रही है। हल्दिया से फरक्का तक सात बेस, दो कंट्रोल और 30 वेसेल स्टेशन हैं। फरक्का से पटना तक छह बेस और एक कंट्रोल स्टेशन बनाए गए है।
बीकन टावर से रखी जाएगी निगरानी
डिफ्रेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम या रिवर इंफार्मेशन सिस्टम (आरआइएस) की मदद से नदी में जहाजों की निगरानी के लिए लाइट हाउस जैसे दिखने वाले बीकन टावर के साथ कंट्रोल स्टेशन तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा जगह-जगह रेल सिग्नलों की तर्ज पर ही सिग्नल टावर भी लगाए जाएंगे।
पुलों की होती है अहम भूमिका
नदी पर जहाजों के लिए बने सूचना तंत्र में पुलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। क्रास सिग्नलिंग के जरिए जहाजों को मिलने वाले सिग्नल को वर्टिकल क्लीयरेंस देने में अहम योगदान देते हैं। वाराणसी के विश्व सुंदरी पुल से लेकर पटना का महात्मा गांधी सेतु और भागलपुर का विक्रमशिला सेतु पूरे नेविगेशन तंत्र का जरूरी हिस्सा है।

 

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