17वीं लोकसभा में बना रिकॉर्ड, देर रात तक चला सदन का कामकाज
सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में ही ज्यादा से ज्यादा विधायी कामकाज करना चाहती है, जिस कारण लोकसभा को देर रात तक बैठकर विधेयकों पर चर्चा करनी पड़ रही है। गुरुवार रात सत्रहवीं लोकसभा में कामकाज का रिकॉर्ड बना जब देर रात 12 बजे तक रेलवे मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के लिए निचले सदन में कामकाज चलता रहा। हालांकि, पहले भी तीन मौकों पर ऐसा हुआ है जब सदन एक दिन शुरू होने के बाद अगले दिन सुबह तक चला हो।
इस मुद्दे पर आधी रात से दो मिनट पहले चर्चा को समाप्त कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि चर्चा इतनी देर रात तक चली क्योंकि सदन का हर सदस्य इसका हिस्सा बनना चाहता था। उन्होंने आगे बताया कि लगभग 18 वर्षों में यह पहला मौका था जब निचले सदन की कार्यवाही इतने लंबे समय तक चली।
सदन में बहस के दौरान, विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रेलवे का निजीकरण कर रही है, सरकार रेलवे का विकास करने के बजाय उसकी संपत्ति को बेच रही है। इसके जवाब में सरकार ने जोर देकर कहा कि रेलवे खासकर अपनी बुनियादी संरचना एवं सुरक्षा के क्षेत्र में रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
वर्तमान लोकसभा में लोकसभा की कार्यवाही 11 जुलाई को सुबह 11 बजे शुरू हुई और रात 11 बजकर 58 मिनट तक चली। यह इस लोकसभा का रिकॉर्ड है। अब रेल बजट को अलग से पेश नहीं करना होता है, इसलिए इस बार रेल मंत्रालय ने चर्चा पर रिकॉर्ड कायम किया है।
इससे पहले रेल बजट पर चर्चा के दौरान रामविलास पासवान और नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड बनाए थे। 25 जुलाई 1996 को सदन की कार्यवाही सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक चली थी। उस समय लोकसभा के अध्यक्ष पीए संगमा थे, जबकि रेल मंत्री रामविलास पासवान थे। इसके बाद दूसरा मौका 8-9 जून 1998 को आया जब रेल बजट पर चर्चा अगले दिन तक चली। उस समय लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी थे जबकि रेल मंत्री नीतीश कुमार थे।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के कार्यकाल में दो बार ऐसा मौका आया जब सदन की कार्यवाही देर रात तक चली। पहला 1996 के रेल बजट के दौरान और दूसरा 1997 में आजादी के स्वर्ण जयंती वर्ष में विशेष सत्र के दौरान।