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विकास की नई परियोजनाओं के लिये 15वें वित्त आयोग से अनुदान सहायता का आग्रह


 

विकास की नई परियोजनाओं के लिये 15वें वित्त आयोग से अनुदान सहायता का आग्रह 

प्रदेश में मोहल्ला क्लीनिक, विकास खंडों में पैरा मेडिकल स्टाफ की आवासीय सुविधा, स्मार्ट मीटरिंग, स्मार्ट क्लास रूम जैसे अनूठे प्रयासों के लिये अनुदान सहायता की आवश्यकता से 15वें वित्त आयोग को अवगत करवाया गया। विभिन्न विषय पर वित्त आयोग के सामने प्रस्तुतीकरण देते हुए अपर मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने राज्य की वित्तीय स्थिति और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य में केन्द्र से अपेक्षित सहयोग पर चर्चा की।

श्री जैन ने बताया कि राज्य के कुल खर्च में विकास पर हुए खर्च का प्रतिशत बढ़कर 76 हो गया है। उन्होंने बताया कि भविष्य में राज्य के खर्चें बढ़ेंगे लेकिन राजस्व प्राप्ति के अवसर सीमित हैं। राज्य के कर लगाने के मौके भी प्रभावित हुए हैं। जीएसटी के कारण राजस्व में कमी आई है। केन्द्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं में बदलाव से भी राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय भार आया है।

आयोग के ध्यान में यह बात भी लाई गई कि कम आय वाले राज्यों और अधिक आय वाले राज्यों के बीच अंतर बढ़ रहा है। यह एक चक्र बन गया है कि प्रति व्यक्ति आय कम होगी इसलिये राजस्व बढ़ाने की क्षमता कम होगी और इसका प्रभाव अधोसंरचना विकास और कौशल विकास पर पड़ेगा। इसके फलस्वरूप निवेश कम होगा और रोजगार भी कम पैदा होंगे। यह एक चक्र है जो चलता रहेगा। इसे तोड़ने के लिये वित्त आयोग के सहयोग की जरूरत है। इस बात पर जोर देकर वित्त आयोग से आग्रह किया गया कि राज्यों को मिलने वाले करों में हिस्सेदारी को 42 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया जा सकता है।

राज्य की ओर से प्राथमिकताओं वाले क्षेत्रों में विशेष अनुदान के संबंध में भी चर्चा हुई। जनजातीय जनसंख्या के मान से जनजातीय कल्याण का विशेष अनुदान बढ़ाने की जरूरत है। स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम आदि के लिये और आधुनिक प्रोद्यौगिकी से स्कूलों को सम्पन्न बनाने के लिये अनुदान की आवश्यकता है। इसी प्रकार स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में  सहयोग जरूरी है। कृषि में मार्केटिंग और वितरण पर ध्यान देने की बेहद आवश्यकता है।

राज्य मंत्रि-परिषद के सदस्यों ने अपने अपने विभागों से संबंधित सुझाव दिये। पंचायतों में ऑडिट व्यवस्था और क्षमता विकास के लिये अनुदान का सुझाव दिया गया। शहरी विकास के लिये वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच 88 हजार करोड़ से ज्यादा की जरूरत रेखांकित की गई।

प्रदेश में आपात संभावनाओं की चर्चा करते हुए बताया गया कि बहुआयामी गरीबी के संकेतक में प्रदेश की चौथी रेंक है। कम से कम 30 जिले दस नदियों के बेसिन पर स्थित हैं और हमेशा बाढ़ का खतरा बना रहता है। इसी प्रकार 28 जिलों में भूकम्प आ सकता है।

आयोग से मोहल्ला क्लीनिक बनाने, 75 विकास खंडों में मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिये रहने की सुविधाएँ, दवा प्रदाय व्यवस्था को मजबूत करने के लिये भी अनुदान की माँग की गई। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज के लिये 300 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता की मांग की गई। आयुष सेवा प्रदाय के लिये 578 डिस्पेंसरी बनाने, आयुष कॉलेजों को सुधारने, नौ होस्टल बनाने, लघु अवधि के कौशल विकास प्रशिक्षण के लिये सहायता की जरूरत बताई गई। इसके अलावा ऊर्जा क्षेत्र में स्मार्ट बिलिंग के लिये सहायता की माँग की गई।

इस दौरान केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह, सदस्य श्री अजय नारायण झा, श्री रमेश चंद्र, श्री अशोक लहरी, श्री अनूप सिंह एवं आयोग के सदस्य सचिव श्री अरविंद मेहता, मंत्रि-परिषद के सदस्य एवं मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती उपस्थित थे।

 

एएस

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