कंपनियों में बढ़ता फर्जीवाड़ा, ऑडिट फर्म के लिए सख्त नियम बनाएगी सरकार
कंपनियों के फर्जीवाड़े में ऑडिट फर्मों की बढ़ती भूमिका पर लगाम कसने के लिए सरकार जल्द नियमों में बदलाव कर सकती है। कॉरपोरेट मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार ऑडिट फर्मों पर शिकंजा कसने के लिए और सख्त नियम बनाने की तैयारी में है।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कंपनियों के आंतरिक शासन में लगातार खामियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑडिट फर्म की भूमिका और पारदर्शी बनाना जरूरी है। इसके लिए कॉरपोरेट मंत्रालय नॉन-ऑडिट सेवाओं पर या तो पूरी तरह प्रतिबंध लगाएगा अथवा परामर्श से प्राप्त होने वाले राजस्व पर कैंची चलाएगा।
चार्टर्ड अकाउंटेंट की संस्था पर अंकुश रखने वाला कॉरपोरेट मंत्रालय इस साल कंपनी कानून में बदलाव कर नए प्रतिबंधों को लागू करने की दिशा में बढ़ेगा। नया कानून ब्रिटेन के उस कानून से प्रेरित हो सकता है, जिसमें बड़े ऑडिट फर्म पर लगाम कसने के लिए कानून बनाने की पहल की गई है। आईएलएंडएफएस डिफॉल्ट और जेट एयरवेज के डूबने के बाद ऑडिट फर्मों पर सख्त नियम लागू करने की मांग उठी थी। मौजूदा कानून के तहत एक व्यक्तिगत ऑडिटर 20 से अधिक कंपनियों के खातों का लेखा-जोखा तैयार कर सकता है, जबकि कंपनियों के लिए ऑडिट कराने की कोई संख्या नहीं है।
सांविधिक ऑडिटर्स पर सख्ती: सरकार सांविधिक ऑडिटर्स पर भी अंकुश लगाने के लिए उनकी सेवाओं में कटौती की तैयारी कर रही है। कंपनी कानून के तहत अभी सांविधिक ऑडिटर्स आंतरिक लेखा-परीक्षण, बैंकिंग निवेश और बीमांकिक सेवाओं जैसी 9 सेवाएं नहीं दे सकते हैं। सरकार इस प्रतिबंध में और कई सेवाएं जोड़ सकती है, लेकिन कर सलाह, पुनर्संरचना और मूल्यांकन जैसी सेवाओं पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी। सरकार इस बात पर भी अंकुश लगा सकती है कि नॉन ऑडिट सेवाओं से कमाई गई राशि ऑडिट सेवाओं की 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।