संविधान के दायरे में रहकर हुर्रियत से बातचीत करने को तैयार है - बीजेपी
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दो दिन पहले संकेत दिए थे कि अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता बातचीत के लिए तैयार हैं। इस मामले में अब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने श्रीनगर में जो लोग संविधान के दायरे में आकर संविधान पर विश्वास जताते हुए बात करना चाहते हैं, उनसे बातचीत के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा है कि यदि नई दिल्ली की तरफ से सार्थक संवाद शुरू किया जाता है, तो हुर्रियत सकारात्मक जवाब देगी। श्रीनगर में एक कार्यक्रम से इतर बोलते हुए अविनाश राय खन्ना ने कहा कि केंद्र की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं है। मैं जो कह रहा हूं, वह एक प्रस्ताव है। देश के संविधान में विश्वास पैदा करें और कानून व व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में सहायता करें, फिर हम बात कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ऐसा माहौल बनाया है कि कोई भी व्यक्ति शांति प्रक्रिया में योगदान दे सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय गृह मंत्रालय संभालने के चलते खन्ना की टिप्पणी महत्व रखती है।
केंद्र सरकार से बातचीत के लिए अलगाववादी संगठन हुर्रियत के नरम रुख का घाटी के क्षेत्रीय दलों ने स्वागत किया है। जहां एक ओर पीडीपी और नेकां ने इस बातचीत को आगे ले जाने पर जोर दिया है। वहीं, भाजपा ने स्पष्ट कहा कि जो भी भारतीय संविधान के दायरे में रह कर बातचीत करना चाहता है, उसके लिए केंद्र के दरवाजे हमेशा खुले हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हुर्रियत के बातचीत को लेकर अपनाए नरम रुख से उन्हें राहत मिली है। ट्विटर पर महबूबा ने लिखा- पीडीपी-भाजपा गठबंधन का अंतर्निहित उद्देश्य भारत सरकार और सभी हितधारकों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाना था। सीएम के रूप में अपने कार्यकाल में मैंने ऐसा करने की पूरी कोशिश की। राहत की बात है कि हुर्रियत ने आखिरकार अपना रुख नरम कर लिया है।