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बिहार में मृतकों की संख्‍या हुई 93, केंद्रीय मंत्री मरीजों के परिजनों से मिले


पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली और उसके आसपास फैले चमकी बुखार यानी इंसेफलाइटिस के कहर से अब तक अकेले मुजफ्फरपुर में 92 मरीज जान गवां चुके हैं।

इस केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और इंसेफलाइटिस के मरीजों और उनके परिजनों से मुलाकात की। इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे भी थे।मंत्री ने कहा कि करीब सौ बीमार बच्चों को उन्होंने देखा। इसमें एक बात सामने आई कि बीमार होने के तुरंत बाद अस्पतालों में आने वाले बच्चों के ठीक होने की अधिक संभावना रहती है। इसे देखते हुए बच्चों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था पर भी फोकस रहेगा।

 

अतिरिक्त एंबुलेंस के अलावा रास्ते में ही इलाज की व्यवस्था कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि बीमार बच्चों के खून में शुगर की मात्रा काफी कम हो जाती है। इसे देखते हुए पीएचसी व सीएचसी में भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की मदद से इन बच्चों को ग्लूकोज के अतिरिक्त डोज देने की व्यवस्था रखी जाएगी।

इलाज की वर्तमान व्यवस्था पर यह कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एसकेएमसीएच में एईएस पीडि़त बच्चों के इलाज की व्यवस्था पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थिति में यहां के चिकित्सक व कर्मी बेहतर इलाज कर रहे। अगले वर्ष जब सौ बेड की पीआइसीयू तैयार हो जाने के बाद परेशानी थोड़ी कम हो जाएगी।

वायरस की आशंका से इन्कार नहीं

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीमारी के कारणों में वायरस भी हो सकता है। इसकी जांच के लिए वायरोलॉजिकल लैब की जरूरत है। एसकेएमसीएच परिसर में इसके लिए आधारभूत संरचना है। कुछ माह में इस लैब पर काम शुरू करना है। इसके अलावा यहां एक महामारी विशेषज्ञ की भी नियुक्ति अविलंब की जाएगी।

गौरतलब है बिहार के कुछ जिलों में इंसेफलाइटिस की वजह से कई मासूम अपनी जान गंवा चुके हैं और कई अस्पतालों में जिंदगी और मौत के साथ संघर्ष कर रहे हैं।

जायजा लेने के दौरान मौत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जब एईएस पीडि़त बच्चों का जायजा ले रहे थे उस दौरान भी वहां एक बच्ची की मौत हो गई। उन्होंने तीन घंटे से अधिक समय तक एक-एक बच्चे का जायजा लिया। वार्ड में हुआ हंगामा बच्चों का जायजा लेने के लिए एक से दूसरी पीआइसीयू में जाने के दौरान एक मरीज के परिजन ने मंत्री से वार्ड में जाकर जाने की मांग रखी। मगर, बच्चों को देखने वे पीआइसीयू चले गए। इसे देखते हुए वार्ड के बाहर परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया।

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