पीएम मोदी व अन्य के आचार संहिता उल्लंघन की जानकारी साझा नहीं करेगा निर्वाचन आयोग
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ओर अन्य नेताओं द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और उसके बाद उन्हें क्लीन चिट मिलने से जुड़ी जानकारियां साझा करने से निर्वाचन आयोग ने इनकार कर दिया है।
आयोग ने कहा कि यह जानकारी अलग-अलग स्रोत से एकत्रित करनी होगी, जिसमें उसके गलत तरीके से पेश किए जाने का खतरा हो सकता है। एक आरटीआई का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आचार संहिता उल्लंघन के मामले में जानकारी देने से इनकार करते हुए दो चुनाव आयुक्तों में से एक द्वारा असहमति में की गई फाइल नोटिंग की प्रति भी मुहैया कराने से मना कर दिया।
आयोग ने कहा कि, ‘आचार संहिता की शिकायतों को संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में ही निपटाया जाता है। आपकी ओर से मांगी गई सूचना संकलित रूप में उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में आप आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 7(9) का उल्लेख कर सकते हैं।’
इस धारा में कहा गया है कि कोई सूचना सामान्य तौर पर उसी रूप में उपलब्ध कराई जाए, जिसमें वह मांगी गई है, वर्ना यह अलग-अलग स्रोतों से एकत्रित करनी होगी और ऐसे में उसके गलत तरीके से पेश किए जाने का खतरा है।
निर्वाचन आयोग से उसके इस निष्कर्ष के बारे में सूचना मांगी गई थी कि प्रधानमंत्री ने अपने विभिन्न चुनावी भाषणों के दौरान आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं किया। इसके अलावा प्रत्येक शिकायतों की जानकारियों, बैठकों के ब्यौरे की प्रति भी मांगी गई, जिसमें शिकायतों पर निर्णय लिए गए।
इसके साथ ही किसी भी चुनाव आयुक्त द्वारा असहमति पत्र की जानकारियां भी उपलब्ध कराने को कहा गया। दो चुनाव आयुक्तों में से एक ने अप्रैल में महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री के दो भाषणों के लिए उन्हें क्लीन चिट देने के पूर्ण चुनाव आयोग के फैसले पर असंतोष जताया था। कांग्रेस ने भी मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें दी थी, जिस पर आयोग ने फैसला लिया था।
सूत्रों के अनुसार, एक चुनाव आयुक्त ने पीएम मोदी के एक अप्रैल को वर्धा में और 9 अप्रैल को लातूर में दिए गए भाषण पर उन्हें क्लीन चिट दिए जाने के आयोग के फैसले पर असहमति जताई थी। शिकायतों पर निर्णय लेने वाले पूर्ण आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और साथी चुनाव आयुक्त होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा हैं, जबकि अशोक लवासा व सुशील चंद्र चुनाव आयुक्त