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साध्‍वी प्रज्ञा ने की उमा भारती से मुलाकात, बताया-व्‍हील चेयर पर रात भर रोती रहीं थी उमा भारती



भोपाल। उमा भारती के बयान के बाद दो दिन से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और उमा भारती के बीच अनबन की चर्चाओं का सोमवार को पटाक्षेप हो गया। साध्वी प्रज्ञा प्रचार पर जाने से पहले श्यामला हिल्स स्थित उमा भारती के बंगले पर पहुंचीं। बंगले पर उमा भारती ने साध्वी प्रज्ञा का फूल माला से स्वागत किया। साध्वी प्रज्ञा करीब एक घंटे उमा भारती के घर रहीं। मुलाकात के दौरान मीडिया से बातचीत में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि उमा दीदी मुझसे बड़ी हैं और मैं अभी राजनीति में नई हूं, इसलिए उन्हीं की अंगुली पकड़कर राजनीति सीखूंगी। इस पर उमा भारती ने कहा कि मुझे राजनीति नहीं आती।

प्रताड़ना की वजह से बने हैं गाल पर निशान
उमा भारती ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा जैसी प्रताड़ना कोई बलवान पुरुष भी नहीं सह सकता। मुझे पता चला था तो मैं खुद उनसे मिलने नासिक जेल में गई थी। उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा की यह हालत आज प्रताड़ना की वजह से ही हुई है। उनके गाल पर जो निशान हैं, वह प्रताड़ना के दौरान थप्पड़ मारने की वजह से हैं। यह मारने वाले का फर्स्ट हैंड अकाउंट है।

व्हील चेयर पर थीं उमा भारती, रात भर रोई थीं
साध्वी प्रज्ञा ने हिरासत के दौरान उमा भारती से मुलाकात की कहानी सुनाते हुए कहा कि उमा दीदी उस समय व्हील चेयर पर थीं। मैं बिस्तर पर थी। मेरी हालत देखकर उमा दीदी रातभर रोती रहीं। इस पर उमा भारती ने कहा कि मैं रो रही थी और ये मुझे समझा रही थीं।

सफाई दी, आत्मा से मिले हैं हम
उमा भारती के पिछले दिनों के बयान पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि हम साधु-सन्यासी आत्मा से जुड़े होते हैं। राजनीति अपनी जगह है, लेकिन उमा दीदी नाराज होती हैं तो शब्दों से ही समझ आ जाता है।

आरोप प्रमाणित हो तो फांसी दे दो
उमा भारती ने कहा कि एक या दो दिन में, मैं भोपाल में साध्वी प्रज्ञा के लिए सभा करूंगी। इस सभा में बताऊंगी कि साध्वी प्रज्ञा पर क्या बीती है। यदि उन पर लगे आरोप प्रमाणित हो तो उन्हें फांसी दे दीजिए, लेकिन उन्हें पीने के लिए पानी न मिले, भोजन न मिले तो यह सही नहीं। आतंकवादियों को बिरयानी दी जा रही थी, उनके हिसाब से खाना दिया जाता था, लेकिन इनके साथ अत्याचार हुआ है। जब मैं प्रज्ञा से मिलने गई थी तो मुझे महिला जज ने कहा था कि आप कोई राजनीतिक बातें तो नहीं करोगी। इसके बाद कई लोग हमें घेरकर खड़े रहे कि राजनीति का र भी न निकले।

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