INS विक्रमादित्य हादसे में शहीद हुआ मध्यप्रदेश का बेटा
रतमाल . देश के सबसे बड़े विमानवाहक जंगी पाेत आईएनएस विक्रमादित्य में शुक्रवार को आग लग गई। अाग बुझाने के दाैरान धुएं के कारण अचेत हुए नाैसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह (डीएस) चाैहान की मौत हो गई। रतलाम के रहने वाले थे। नाैसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि लेफ्टिनेंट कमांडर चाैहान की बहादुरी से अाग काे बुझा लिया गया। हम उनके साहस और कर्तव्यनिष्ठा काे सलाम करते हैं। हम उनके परिवार के साथ हैं। नाैसेना प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने कहा कि ले. कमांडर चाैहान ने अाग बुझाने के लिए अपनी जान दे दी। उनके साहस से 44,500 टन वजन वाले पाेत की लड़ाकू क्षमता काे काेई खास नुकसान नहीं हाे पाया। नाैसेना ने बयान में कहा कि अाग शुक्रवार सुबह उस समय लगी, जब पाेत कर्नाटक के कारवाड़ बंदरगाह पहुंच रहा था।
लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान के नेतृत्व में क्रू ने अाग काे बुझा लिया गया। इस दाैरान धुएं के कारण लेफ्टिनेंट कमांडर चाैहान अचेत हो गए। उन्हें कारवाड़ स्थित नाैसेना के अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें बचाया नहीं जा सका। नाैसेना ने हादसे की जांच के लिए ‘बाेर्ड ’फ एन्क्वॉयरी’ के आदेश दिए हैं। 2016 में रख-रखाव के दौरान आईएनएस विक्रमादित्य जहरीली गैस लीक हो गई थी, जिससे एक नाविक और एक अन्य कर्मचारी की मौत हो गई थी।
284 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा है पाेत : आईएनएस विक्रमादित्य काे नौसेना में नंवबर 2013 में रूस के सेवाेराेदविंस्क में शामिल किया गया था। उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में इसका दोबारा नामकरण किया गया। इसे रूस से करीब 16,000 कराेड़ रुपए में खरीदा गया था। यह 284 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा है, जाे करीब 20 मंजिला इमारत के बराबर है। इसमें 22 डेक हैं। इस पर मिग-29, सी हैरियर, कामाेव 31, कामाेह 28, सी िकंग, एएलएच ध्रुव औैर चेतक हेलीकाॅप्टर जैसे 30 एयरक्राफ्ट रखे जा सकते हैं।
रोते हुए मां बोलीं- नमस्ते नहीं, सेल्यूट करो, मेरा बेटा भारत के लिए शहीद हुआ है : कभी शहीद बेटे धर्मेंद्र की यूनिफॉर्म की टोपी को चूमती हैं, तो कभी उसकी तस्वीर के सामने जाकर सैल्यूट करने लगती हैं। इकलौते बेटे के खोने का गम है तो साथ में गर्व भी। जब भी कोई घर में आता है कह उठती हैं नजरें झुकाकर मत आओ, नमस्ते की बजाए पहले सेल्यूट करो, मेरा बेटा भारत माता के लिए शहीद हुआ है।
दिल बैठा देने वाले ये हाल है कारवाड़ (कर्नाटक) स्थित हार्बर में आईएनएस विक्रमादित्य पोत में लगी बुझाने की कोशिश में शहीद हुए लेफ्टीनेंट कमांडर धर्मेंद्रसिंह चौहान की मां टमा कुंवर का, जो फिलहाल रिद्धी-सिद्धी कॉलोनी घर में अकेली हैं। विलाप ऐसा की ढांढस बंधाने आए रिश्तेदार व पड़ौसियों की आंखों से भी आंसू बहने लगते हैं। शहीद बेटे को याद कर मां बार-बार बेसुध हो रही है क्योंकि बेटे की 10 मार्च को ही आगरा में वहीं की रहने वाली करुणा सिंह से शादी हुई थी।
12 मार्च को रतलाम में रिसेप्शन के बाद 23 मार्च को ड्यूटी पर जाते समय बेटा वादा करके गया था कि दीपावली पर वापस आकर घुमाने ले जाऊंगा। मां का कहना है अब मुझे घुमाने कौन ले जाएगा। मां ने रोते हुए बताया वो एयरफोर्स में जाना चाहता था लेकिन 2012 में नेवी में सिलेक्शन हो गया। नौकरी लगते ही बैंक से 30 लाख रुपए का लोन लेकर रिद्धीसिद्धी कालोनी में खुद का मकान बनवाया।
बहू का फोन आया आईसीयू में है, कुछ ही देर में नेवी अफसर ने फोन कर बताया आपका बेटा शहीद हो गया है- दोपहर लगभग 1.30 बजे जब मां टमा कुंवर को बेटे के शहीद होने की जानकारी मिली तब वो खाना खा रही थीं। पहले आगरा से बहू करूणासिंह ने फोन कर बताया आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है, वो आईसीयू में हैं। मैं जा रही हूं आप भी निकलो। इसके कुछ ही मिनटों बाद नेवी आफिसर का फोन आया उन्होंने धर्मेंद्र के शहीद होने की सूचना दी। इसके बाद से ही मां बेसूध है। पत्नी करूणा सिंह को तो अब तक पता नहीं की उसका पति शहीद हो चुका है। वो भाई के साथ हवाई जहाज से कारवार के लिए रवाना हो गई है।
एयर स्ट्राइक के तनाव से शादी के समय भी कम मिली छुट्टी : पुलवामा हमले और उसके बाद एयर स्ट्राइक के कारण सीमा पर तनाव के चलते शहीद धर्मेंद्र को 10 मार्च को होने वाली शादी के लिए भी पर्याप्त छुटि्टयां नहीं मिल पाई थीं। मां टमा कुंवर ने बताया धमेंद्र गोवा से सीधे आगरा शादी में पहुंचा। वही सारी रस्में हुई। रतलाम में रिस्पेशन के बाद वापस ड्यूटी पर चला गया।