हेमंत करकरे पर साध्वी प्रज्ञा के विवादित बयान पर बीजेपी ने दी सफाई कहा-ये उनका निजी बयान है ।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मुंबई हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर की गई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की विवादित टिप्पणी से पल्ला झाड़ लिया है. पार्टी ने कहा कि बीजेपी का स्पष्ट मानना है कि हेमंत करकरे आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे. बीजेपी ने उन्हें हमेशा शहीद माना है.
इससे पहले आईपीएस एसोसिएशन ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान पर नाराजगी जताई थी और चुनाव आयोग ने उनके बयान पर संज्ञान लेते हुए जांच पड़ताल की बात कही थी.
बीजेपी ने शुक्रवार को बयान जारी करके साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान से खुद को अलग कर लिया. पार्टी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मानना है कि हेमंत करकरे आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. भाजपा ने उन्हें हमेशा शहीद माना है. जहां तक साध्वी प्रज्ञा के इस संदर्भ में दिए गए बयान का विषय है, वह उनका निजी बयान है जो वर्षों तक उन्हें हुई शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के कारण दिया गया होगा.
गौरतलब है कि मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी और भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुंबई के आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे पर यातना देने का आरोप लगाया. प्रज्ञा ने मुंबई एटीएस के दिवंगत प्रमुख का नाम लेते हुए कहा, ‘इतनी यातनाएं दीं, इतनी गंदी गालियां दीं जो असहनीय थी, मेरे लिए और मेरे लिए नहीं, किसी के लिए भी. मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा. ठीक सवा महीने में सूतक लगता है. जब किसी के यहां मृत्यु होती है या जन्म होता है. जिस दिन मैं गई थी, उस दिन इसके सूतक लग गया था. ठीक सवा महीने में जिस दिन उसको आतंकवादियों ने मारा उस दिन सूतक का अंत हो गया.'’
वहीं शहीद हेमंत करकरे पर साध्वी के बयान पर ऐतराज जताते हुए भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘हेमंत करकरे कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए शहादत दी और उनकी शहादत पर हमें गर्व होना चाहिए जिसने देश के लिए शहादत दी उसके बारे में हमें विवादित टिप्पणी नहीं करना चाहिए.’’ इसी तरह आईपीएस एसोसिएशन ने भी साध्वी प्रज्ञा के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए शहीदों को सम्मान करने की नसीहत दी है.
वर्ष 2008 में मालेगांव बम विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (यूएपीए एक्ट) के तहत मामला अदालत में विचाराधीन है. हालांकि, इस मामले में मकोका के तहत उन्हें क्लीनचिट मिली हुई है.