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दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा के मामले में भी मध्यप्रदेश अव्वल


राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हर साल जारी होने वाली रिपोर्ट दुष्कर्म के मामले में मप्र पर लगने वाले कलंक के टीके को लगातार गहरा करती रही है। एनसीआरबी की 2018 की रिपोर्ट आने में तो लंबा समय लगेगा लेकिन दुष्कर्म के मामले में सजा सुनाए जाने में तेजी और फांसी की सजा के मध्य प्रदेश अग्रणी रहा है। इसकी वजह कानून में संशोधन भी है।

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में देशभर की निचली अदालतों ने कुल 162 अपराधियों को विभिन्न् मामलों में मौत की सजा सुनाई। बड़ी बात यह है कि 58 दरिंदों को दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में, जबकि नौ को 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के केस में मौत की सजा मिली। यानी यह कड़ी सजा पाने वाले 41.35 फीसदी दरिंदे दुष्कर्म एवं उसके बाद हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए हैं। यह संख्या 2016 में 27 एवं 2017 में 43 थी।

मध्य प्रदेश में बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं को देखते हुए दिसंबर 2017 में राज्य सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में फांसी की सजा लगभग सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा में 'दंड विधि (मप्र संशोधन) विधेयक" पारित किया।

इस कानून के मुताबिक 12 साल या इससे कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में अपराध सिद्ध होने पर दोषियों को कम से कम 14 साल की कैद और अधिकतम फांसी की सजा सुनाई जा सकती है। मप्र ऐसा कानून पारित करने वाला पहला राज्य बना।

इसके ठीक छह माह बाद ही केंद्र सरकार द्वारा आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 लोकसभा से पारित किया गया। इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही 16 साल से छोटी बच्चियों से दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की कठोर सजा का प्रावधान है, जिसे उम्र कैद तक भी बढ़ाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश, कर्नाटक के साथ तीसरे स्थान पर: सजा-ए- मौत के मामलों में टॉप चार राज्यों में मध्य प्रदेश (22) के अलावा महाराष्ट्र (16), उत्तर प्रदेश (15) एवं कर्नाटक (15) शामिल हैं। दुष्कर्म व उसके बाद हत्या के मामले में महाराष्ट्र में आठ दुष्कर्मियों को, जबकि उत्तर प्रदेश में चार दरिंदों को मौत की सजा सुनाई गई है। वहीं दंगे के दौरान हत्या के मामले में सबसे ज्यादा सात लोगों को मौत की सजा उत्तर प्रदेश में सुनाई गई है।

मप्र में 40 दोषी मृत्युदंड पर अमल के इंतजार में: 31दिसंबर 2018 तक देश में मृत्युदंड पाने वाले 426 अपराधी सजा पर अमल का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि इनमें हाई कोर्ट की पुष्टि व कई अपील के अधिकार बचे हैं। इसमें सबसे ज्यादा मृत्युदंड पाए 66-66 अपराधी उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र की विभिन्न् जेलों में हैं। मध्य प्रदेश में 40, कर्नाटक में 25, बिहार में 22 एवं पश्चिम बंगाल में 20 अपराधियों की सजा पर अमल होना बाकी है।

राष्ट्रपति ने तीन साल में खारिज की 11 दया याचिका: पिछले तीन साल में राष्ट्रपति के समक्ष 16 दया याचिका (मौत की सजा माफ करने) दायर की गई, जिसमें से 11 खारिज की गईं। केवल पांच दया याचिकाओं को ही राष्ट्रपति ने स्वीकार किया। प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए सर्वाधिक 10 दया याचिका खारिज की जबकि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक दया याचिका खारिज की है।

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