ग्वालियर सीट पर बनी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के नाम पर सहमति
ग्वालियर। टिकट बंटबारे का सिलसिला शुरू होते ही लोकसभा चुनाव में दांव पेंच का खेल शुरू हो गया है।ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर के मुरैना जाते ही समीकरण तेजी से बदले हैं। न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस में उथल-पुथल तेज हुई है। कांग्रेस महासचिव व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के रविवार सुबह अल्प प्रवास पर ग्वालियर आने के बाद आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस कार्यालय में बैठक बुलाई गई। मंत्री, विधायक व वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में शहर जिलाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने प्रस्ताव पढ़कर सुनाया कि ग्वालियर सीट से प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया (ज्योतिरादित्य की पत्नी) को टिकट दिया जाए।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, लाखन सिंह यादव, इमरती देवी, विधायक मुन्नाालाल गोयल, प्रवीण पाठक सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हाथ उठाकर सहमति दे दी। प्रस्ताव को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को तत्काल फैक्स कर दिया गया। खास बात यह थी बैठक में टिकट के प्रबल दावेदार अशोक सिंह और दिग्विजय खेमे का एक भी वरिष्ठ नेता नहीं पहुंचा।
गाड़ी में बैठकर बनी रणनीति
सांसद सिंधिया शताब्दी एक्सप्रेस से आए। स्टेशन से ही उनकी गाड़ी में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, लाखन सिंह यादव, शहर जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा, ग्रामीण अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर, पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल बैठे। बताया जाता है कि गाड़ी में ही तय हो गया था कि कांग्रेस कार्यालय में बैठक बुलाकर प्रियदर्शिनी राजे के नाम का प्रस्ताव पारित किया जाए। इसके बाद शहर जिलाध्यक्ष डॉ. शर्मा ने दोपहर 2:30 बजे कांग्रेस कार्यालय में बैठक करने की सूचना जारी कर दी। सिंधिया पौने एक बजे कोलारस रवाना हो गए और इधर कांग्रेस कार्यालय में प्रियदर्शिनी के लिए प्रस्ताव पारित हो गया। अचानक हुए इस घटनाक्रम के अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं।
क्या सिंधिया को इंदौर से लड़ाने की रणनीति?
ग्वालियर सीट से कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह प्रबल दावेदार हैं। मोदी लहर के बावजूद पिछला चुनाव महज वे 34 हजार वोटों से हारे थे। सिंह पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव खेमे के कहे जाते थे। सिंधिया ने ग्वालियर में
उनके समर्थन में एक भी सभा या रैली नहीं की थी। उस समय राजनीतिक गलियारे में चर्चा थी कि वे अशोक सिंह के विरोधी हैं। इस बार भी सिंह मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कुछ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से सीधे संपर्क के कारण टिकट के प्रबल दावेदार हैं। दूसरी चर्चा यह है कि कांटे वाली सीटों से बड़े नेताओं के लड़ने की बयानबाजी के कारण ही दिग्विजय सिंह को भोपाल भेजा गया है। इसलिए दिग्विजय समर्थक भी चाहते हैं कि सिंधिया को भी इंदौर भेजा जाए।
टकराव में ग्वालियर से भी लड़ सकते हैं
ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक गुना-शिवपुरी से ही लड़ते रहे हैं। इसलिए चर्चा यह भी है कि जब सीट बदलने का दबाव बनेगा तो वे ग्वालियर का दावा ठोक सकते हैं। क्योंकि ग्वालियर से भी कभी नहीं लड़े। इंदौर उनके लिए कांटे का ताज होगा। ग्वालियर सीट पर सीधे तौर पर महल का प्रभाव रहा है। इसलिए गुना-शिवपुरी सीट छोड़ने का दबाव बनने पर सिंधिया ग्वालियर की बात कह सकते हैं।
भाजपा के पास बड़ा चेहरा नहीं
सिंधिया के मुकाबले ग्वालियर में भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि रविवार की बैठक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी, जिससे प्रियदर्शिनी के बहाने सिंधिया को आगे किया जाए।
प्रियदर्शिनी को भी टिकट मिलता है तो भी कांग्रेस को जीत का भरोसा रहेगा।
आम सहमति से निर्णय
ग्वालियर सीट से प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को टिकट के लिए शहर और ग्रामीण संगठन ने आम सहमति से प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा है।
- डॉ. देवेन्द्र शर्मा, शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष
सिंधिया से पत्नी प्रियदर्शनी को ग्वालियर से लड़ाने का आग्रह : कमलनाथ
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपनी पत्नी प्रियदर्शनी राजे को ग्वालियर से चुनाव लड़ाने का आग्रह किया है। सिंधिया गुना सीट से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने यह बात रविवार को पत्रकारों के साथ हुई अनौपचारिक चर्चा के दौरान कही। मुख्यमंत्री से पूछा गया था कि जिस तरह दिग्विजय सिंह को कठिन सीट भोपाल से लड़वाए जाने का प्रस्ताव दिया गया, क्या वैसा ही प्रस्ताव ज्योतिरादित्य सिंधिया को इंदौर या किसी दूसरी सीट से लड़वाए जाने का दिया जा रहा है। इस पर नाथ ने कहा कि मैं इस मामले में कुछ नहीं कहूंगा।