इस गांव में श्राप के डर से सदियों से कोई नहीं मनाता होली
इस समय देशभर में होली की धूम है. लोगों पर होली का खुमार छाया है. लोग होली के जश्न में डूबे हुए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत देश में कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां अलग-अलग मान्यताओं और अंधविश्वास के चलते सदियों से होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में जहां होली के दिन छाई रहती है खामोशी.
1. खरहरी और धमनागुड़ी गांव,छत्तीसगढ़- इसे अंधविश्वास ही कहा जाएगा कि होली जलाने और रंग गुलाल खेलने से गांव वाले बचते हैं. उन्हें दैवीय प्रकोप का का डर रहता है. इस खौफ की वजह से करीब 200 सालों से छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के खरहरी और धमनागुड़ी गांव में होली के मौके पर ग्रामीण अपने घरों में छुप जाते हैं, उनका मानना है कि अगर किसी बाहरी शख्स ने उन्हें रंग या गुलाल लगा दिया तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इसी आशंका के चलते इन दोनों गांवों में होली के मौके पर वीरानी छाई रहती है.
वहां होली पर ना तो कोई फाग गीत गाया जाता है और ना ही रंग गुलाल की दुकानें सजती हैं. अंधविश्वास को धता बता कर होली खेलने का अनुरोध करने पर ग्रामीणों के चेहरे लाल पीले होने लगते हैं.
2. हरियाण के कैथल के गुहल्ला चीका स्थित गांव में 150 वर्षों से होली नहीं मनाई गई. हरियाणा के इस गांव में होली पर सन्नाटा छाया रहता है. ना कोई किसी को होली के रंग लगाता है ना होली की शुभकामनाएं देता है. माना जाता है कि इस गांव में एक बाबा का निवास था. इन बाबा कद काफी छोटा था, जिसके कारण गांव के लोग अक्सर बाबा का मजाक उड़ाया करते थे. लोगों के मजाक से तंग आकर बाबा ने होलिका दहन की अग्नि में कूदकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या करने से पहले गुस्साए बाबा ने इस गांव के लोगों को श्राप दिया कि उनके मरने के बाद जो भी होली का त्योहार मनाएगा, उसके परिवार का विनाश हो जाएगा. बाबा के श्राप के डरे लोगों ने तभी से होली का त्योहार मनाना बंद कर दिया.
3. झारखंड के दुर्गापुर गांव में करीब 100 वर्षों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है. इसकी वजह बेहद हैरान कर देने वाली है. कहा जाता है कि वर्षों पहले इस गांव में एक राजा का शासन हुआ करता था. होली के दिन उस राजा के बेटे की मौत हो गई थी. राजा के बेटे की मौत के बाद जब-जब इस गांव में होली का त्योहार मनाया गया, तब-तब इस गांव के लोगों पर भारी परेशानियां आने लगती थीं. इसको देखते हुए राजा ने यहां के लोगों को होली ना मनाने का आदेश दिया. राजा के आदेश का पालन करते हुए तभी से यहां के लोगों ने होली का त्योहार मनाना बंद कर दिया.
4. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के डडुआ गांव में भी होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. यहां के लोगों की होली ना मनाने की वजह भी अंधविश्वास से जुड़ी है. जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में पिछले 125 वर्षों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है. दरअसल, होली के दिन इस गांव के प्रधान की पानी में डूबने से मौत हो गई थी. तब से लेकर आज तक इस गांव में होली का त्योहार नहीं मनाया गया है.