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शिक्षक का 6 बार किया ऑपरेशन, जब अांख पूरी तरह खराब हो गई तो कहा चेन्नई जाकर दिखाओ


 

सहायक अध्यापक ने डॉक्टर पर लगाया लापरवाही पूर्वक इलाज करने का आरोप-एसपी से की कठोर कार्रवाई की मांग

उज्जैन। इंदौर जिले की तहसील देपालपुर के ग्राम फुलान निवासी ओमप्रकाश मरमट ने उज्जैन के डॉ. पराग शर्मा तथा डॉ. रश्मि शर्मा पर लापरवाही पूर्वक इलाज करते हुए उसकी आंख पूरी तरह खत्म कर देने का आरोप लगाया है। मरमट सहायक अध्यापक है जिसने दाई आंख में बार-बार पानी आने की समस्या को लेकर डॉ. पराग शर्मा तथा डॉ. रश्मि शर्मा को दिखाया था इसके बाद 3 साल में करीब आधा दर्जन बार मरमट की आंख का ऑपरेशन हुआ और अंततः उसकी आंख ही चली गई। मरमट ने मंगलवार को कंट्रोल रूम पहुंचकर दोनों डॉक्टर के खिलाफ आवेदन दिया तथा कठोर कार्रवाई की मांग की।

ओमप्रकाश मरमट के अनुसार दाई आंख में बार बार पानी आने के कारण 9 फरवरी 2016 को इंदिरा गांधी चौराहा स्थित वासवानी प्लाजा में त्रिनेत्र सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल एंड डेंटल क्लिनिक में डॉ. पराग शर्मा तथा डॉ. रश्मि शर्मा (कोठालकर) को दिखाया। जांच के बाद डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि दाई आंख के रेटिना में ब्लड जमा हो गया है, जिसके कारण दाई आंख में पानी आ रहा है तथा ईलाज के लिए लेजर ऑपरेशन करना पड़ेगा। ओमप्रकाश मरमट ने डॉ. पराग शर्मा पर विश्वास कर आंख का लेजर ऑपरेशन डॉ. रश्मि शर्मा द्वारा करा लिया। लेकिन ऑपरेशन के बाद भी कोई फायदा नहीं होने पर डॉ. रश्मि शर्मा ने अलग-अलग तारीखों में 4 लेजर ऑपरेशन मरमट की दाई आंख के किये। इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हुआ और आंख की रोशनी 25 से 30 प्रतिशत तक कम हो गई और दाई आंख से कम दिखने लगा। डॉ. पराग शर्मा एवं डॉ. रश्मि शर्मा के निर्देशन में मरमट लगातार मेडिसीन लेता रहा तथा आंख में ड्रॉप डालता रहा लेकिन दाई आंख की रोशनी लगातार कम होने लगी। 1 सितंबर 2017 को मरमट ने पुनः डॉ. पराग शर्मा व डॉ. रश्मि शर्मा को दिखाया तो उन्होंने पहले की तरह ही मेडिसीन व आंख में ड्रॉप डालने को कहा गया। इसके बावजूद भी कोई फायदा नहीं हुआ तो मरमट ने 12 नवंबर 2017 को पुनः डॉ. पराग शर्मा व डॉ. रश्मि शर्मा से संपर्क किया तो डॉ. रश्मि शर्मा ने पुनः जांच कर कहा कि रेटिना में ब्लड आ गया है, दाई आंख का पुनः ऑपरेशन करना पड़ेगा। 22 नवंबर 2017 को फिर मरमट की दाई आंख का ऑपरेशन डॉ. रश्मि शर्मा ने किया। लेकिन 23 नवंबर 2017 को आंख की पट्टी खोली तो पहले से और कम दिखाई देने लगा। 29 नवंबर 2017 को डॉ. रश्मि शर्मा ने कहा कि तुम्हारी आंख में मोतीयाबिंद हो गया है इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। 26 जनवरी को फिर डॉ. पराग शर्मा ने मरमट की दाई आंख का ऑपरेशन किया लेकिन जब 27 जनवरी 2018 को आंख की पट्टी खुली तो मरमट को पूरी तरह दिखाई देना बंद हो गया और 100 प्रतिशत दाई आंख की रोशनी चली गई। उस समय भी डॉ. पराग शर्मा ने 31 जनवरी 2018 तक का कोर्स लिखकर आश्वासन दिया कि आपकी आंख की रोशनी वापस आ जाएगी। समय पर दवाई लेने के बाद भी असर नहीं हुआ तो 31 जनवरी को डॉ. पराग शर्मा ने 7 फरवरी 2018 तक दवाई का कोर्स लिख दिया। 7 फरवरी तक कोर्स लेने के बाद वापस दिखाया तो डॉ. पराग शर्मा ने खुद को बचाने के लिए कहा कि आप मेरे चेन्नई में रहने वाले गुरू को दिखा लो वह आपका सही ईलाज कर देंगे और आपकी दाई आंख की रोशनी आ जाएगी। ओमप्रकाश मरमट ने बताया कि मैं चैन्नई के संकरा नैत्रालय गया तथा वहां आंख की जांच करवाई और पूर्वकी जांच व रिपोर्ट दिखाई तो वहां मुझे बताया कि मेरी दाई आंख पूरी तरह से डैमेज हो गई है और अब इस आंख से कभी नहीं दिख पाएगा। ओमप्रकाश मरमट ने बताया कि डॉ. पराग शर्मा तथा डॉ. रश्मि शर्मा की लापरवाही के कारण मेरी दाई आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई, मैं न विद्या अध्ययन कर पा रहा हूं और न ही छात्रों को पढ़ा पा रहा हूं। मेरी आंख में पानी आने की परेशानी थी लेकिन डॉ. पराग शर्मा व डॉ. रश्मि शर्मा ने अपने चिकित्सकीय सेवा का दुरूपयोग करते हुए मात्र रूपये कमाने के उद्देश्य से मेरी आंख के कई ऑपरेशन किये और मेरी आंख पूरी तरह खत्म कर दी। एसपी के नाम दिये आवेदन में कहा कि मेरी आंख का लापरवाही पूर्वक इलाज करने के दोषी डॉ. पराग शर्मा एवं डॉ. रश्मि शर्मा है, मेरी आंख की रोशनी चले जाने से मैं मानसिक रूप से व शारीरिक रूप से परेशान हो गया हूं। इसलिए डॉ. पराग शर्मा एवं डॉ. रश्मि शर्मा के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही करते हुए उनके विरूध्द भादवि की धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज कर मुझे न्याय दिलाया जाए।

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