भगवान ने राक्षसों को भी वरदान दिये, लेकिन कुकर्म किये तो दंड भी दिया
उज्जैन। भगवान तो देने वाले हैं, उनकी भक्ति राक्षसों ने की तो उन्हें भी वरदान दिया लेकिन वे कुकर्मों के आधार पर दंड देना और पुण्यों के आधार पर उसका फल देना भी जानते हैं, हिरण्य कश्यप भगवान के वरदान से अभिमानी होकर पाप करने लगा, लेकिन जब भक्त प्रहलाद पर संकट आया तो उसी हिरण्य कश्यप को दंड देने के लिए अपने ही दिये हुए वरदान को तोड़ निकाल लिया और खंभे से प्रकट होकर उसका वध कर डाला।
उक्त बात इंदिरानगर सिंधी पंचायत के तत्वावधान में आयोजित दिव्य सतसंग समारोह एवं संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ में कथा वाचक राष्ट्रीय संत गोपालकृष्ण महाराज श्री वृंदावनधाम आश्रम वालों ने कही। आयोजक परमानंद पंचवानी एवं गिरधारीलाल पंजवानी के अनुसार इंदिरा नगर स्थित शाखा मैदान पर प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक हो रहा है। कथा में संत गोपालकृष्ण महाराज ने कहा अपने आंसुओ को व्यर्थ में मत बहाये केवल भगवान के सामने बहाये। यहाँ कोई नही आपका जो आपके आंसू देखकर द्रवित हो। कथा के चौथे दिन भक्तों ने धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया, पांडाल को फूलों तथा रंग बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया। स्वामी हरिनाम दास महाराज का 138वा जयंती वर्ष भी आयोजन में मनाया जा रहा है।