6 ईंच मिट्टी में 10 फिट उंचे पौधे लगाने की कवायद, हर डेढ़ माह मे सूख रहे
नगर निगम द्वारा हरिफाटक चैराहे पर हर डेढ़ महीने में हरे पौधे़ लगाए जाते है जो मिट्टी और रखरखाव की कमी के चलते सूख जाते है
उज्जैन। एक और जहां शासन-प्रशासन स्तर पर हरियाली योजना चलाई जा रही है वहीं नगर निगम द्वारा इसके नाम पर दिखावा किया जा रहा है। मामूली तकनीकी समस्या के चलते निगम के कई प्रयासों के बावजूद हरिफाटक चैराहा हरा-भरा नहीं हो पा रहा है।
निगम द्वारा हरिफाटक ब्रीज से इंदौर रोड स्थित चैराहे पर कई बार हरियाली के प्रयास किए गए है। जिसके तहत निगम द्वारा सिंहस्थ के दौरान हुए निर्माण के कार्याें के पौधो का रोपण किया गया है। बीते छह महीने में यहां चार बार से भी अधिक बार पौधों का रोपण किया गया है बावजूद हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी है। मामूली तकनीकी समस्या की तरफ निगम अधिकारियों का अब तक ध्यान नहीं गया है। चैराहे से नीलगंगा की तरफ बनाई गई क्यारी मे मा़त्र छर्ह इंंट मिट्टी का भराव किया गया है जिसमें निगम द्वारा हाल ही में 10 फिट से उंचे पौधे लगाए गए है। महज डेढ़ महीने पहले लगाए गए ये हरे-पौधे अब पूरी तरह सूख चुके है। जिसके चलते निगम यहां पुनः पौधे लगाने के बारे में सोच रहा है।
उद्यानिकी विभाग का लाखो का बजट खर्च करने की कवायद
दरअसल निगम के उद्यानिकी विभाग में हर साल पौधरोपण और हरियाली के नाम पर लाखों का बजट आता है। जिसे निगम के उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को खर्च करना होता है। इसी के चलते निगम के अधिकारी हरियाली और पौधरोपण के नाम पर जनता के पैसों का दुरूपयोग करते है। हरियाली योजना का इससे बडा माखौल और क्या हो सकता है कि छह महीने में चार बार से अधिक बार यहां पौधरोपण किया गया लेकिन मिट्टी की कमी और रखरखाव की कमी की तरफ किसी का भी नहीं गया।
अब सामने ग्रीन वाल का ड्रामा
निगम अधिकारी हरियाली योजना का माखौल कैसे उड़ाते है और जनता के पैसों का दुरूपयोग किस स्तर पर करते है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सूखे पौधों के सामने हरिफाटक ब्रीज की दिवार पर ग्रीन बनाई गई है। जिसमंे हजारों पौधों को लगाया गया है ये पौधों भी अब पानी नहीं मिलने के चलते पीले पड़ने लगे है।
पुल पर खर्च किए 20 लाख रूपए
जनता के पैसों की बर्बादी का एक और उदाहरण भी इसी पुल पर मौजूद है। इसी वर्ष निगम ने हरिफाटक ब्रीज पर गमले लगाने के लिए 20 खर्च कर लोहे के स्टेंड और गमले लगाए। इन गमलों में भी 6 बार से अधिक बार महगें पौधों का लगाया गया है लेकिन बार पौधे पानी नहीं मिलने के चलते सूख गए। अब ये गमले खाली पड़े हुए है।