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शंखेश्वर पार्श्वनाथ के अठ्ठमतप हुए, आज होंगे पारणे



उज्जैन। शंखेश्वर पार्श्वनाथ के अठ्ठमतप ज्ञानमंदिर में हुए जिसमें 100 समाजजनों ने तप किया जिनके पारणे आज बुधवार को श्री राजेन्द्र जैन मांगलिक भवन मोतीमहल में होंगे। 
श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी के अनुसार गच्छाधिपति आचार्य देव श्रीमद् विजय नित्यसेनसुरीश्वरजी की निश्रा में होने वाले पारणे के लाभार्थी सीताराम भवरलाल चांदमल प्रतापचंद मेहता परिवार हैं। इस अवसर पर मुनि सिद्धरत्नविजय ने अपने प्रवचनों में कहा कि आराधना से परमतत्व को प्राप्त कर सकते है किसी भी आराधना में क्रिया आवश्यक है, आराधना करना अर्थात पापों का नाश करना परमात्मा की प्रार्थना हम सिर्फ कामना के लिए करते है, निष्काम भाव से की गई प्रार्थना फलदाई एवं हितकारी होती है, गृहस्थ जीवन में उतार चढ़ाव तो आते रहते है उसमें समभाव रखना विनयवान का काम है तभी किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है। मुनि विद्वदरत्नविजय ने कहा कि परमात्मा गुरु अर्थात साधु के दर्शन पुण्य से प्राप्त होते है, भाव की प्रबलता जैसे जैसे बढ़ती है वैसे वैसे भव की संख्या घटती है, दर्शन मात्र से वांछित फलों की प्राप्ति होती है। पुण्य जब बढ़ता है तो पराये भी अपने होते है और पापोदय के कारण अपने भी पराये हो जाते है ज्ञान दशा जब जाग्रत होती है तब मन वैराग्य से वासित हो जाता है विनय ओर सरलता ये दो गुण जीवन उत्थान में सहायक हो सकते है। मुनि प्रशमसेन विजयजी ने कहा कि संसार में दो प्रकार के लोग है भोजनानंदी व भजनानंदी, भजनानंदी सिर्फ अपने आत्मभाव एवं हित का ही चिंतन करता है, भोजनानंदी पुदगल प्रेमी होता है उसे सिर्फ नश्वर पदार्थाे में ही मोह होता है। पुण्य संयोग से प्राप्त इस अवसर का चिंतन कर परिणामो को निर्मल करे तो मनुष्य भव की सार्थकता है किसी भी क्रिया में शुद्ध भाव बनाये रखे तो की गई सभी आराधनाएं सार्थक होगी।

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