तपस्या से होता जीवन निर्मल, सद्गति प्राप्त होती है
आचार्य नित्यसेन सूरिश्वर की निश्रा में हुआ मधुकर मंडप का उद्घाटन
उज्जैन। तपस्या जीवन को निर्मल करती है, तप से सद्गति प्राप्त होती है और आहार की आसक्ति कम होती है। उक्त बात नमकमंडी स्थित पुण्य सम्राट प्रवचन मंडप में प्रवचन में गच्छाधिपति आचार्य नित्यसेन सूरीश्वर ने कही। आचार्यश्री ने सभी से तपस्या में जुड़ने का आवाहन किया।
श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी के अनुसार चातुर्मास के कार्याें हेतु मधुकर मंडप के रूप में स्वागत कक्ष एवं कार्यालय का उद्घाटन आचार्य देव श्रीमद् विजय नित्यसेनसुरीश्वरजी, पूज्य आचार्य देवेश मुनिमंडल एवं साध्वी मंडल की निश्रा में मंडप के लाभार्थी सुभाष जयसिंह दीपक कुमार रोमिल कुमार डागरिया परिवार मेटेक्स वालों द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री संघ के माणकलाल गिरिया, डॉ संजीव जैन, राजमल कोठारी, राजेन्द्र पटवा, प्रकाश तलेरा, संजय गिरिया, नितेश नाहटा, आदित्य भटेवरा, रितेश खाबिया, अक्षय लोढा सहित सम्पूर्ण समाजजन उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुनि सिद्धरत्न विजयजी ने कहा की दान शीतल तप भाव से हम अपने को उन्नत बनाएं, दान की महिमा शीतल धर्म तप से कर्म निर्जरा और भाव से स्वभाव का विवेचन किया। क्षणिक सुख की लालसा में हम शाश्वत सुख से वंचित रह जाते हैं। मुनि विद्वतरत्न विजयजी ने कहा कि गुरु आज्ञा जीवन का अलंकार है विनयवन्त शिष्य गुरु की भावना समझ जाता है। गुरु आज्ञा अनुरूप जीवन से ही आत्मा-कल्याण संभव है। जिज्ञासु व्यक्ति कहीं से भी जागृत हो सकता है, जागृत व्यक्ति ही समाधि मृत्यु को प्राप्त करता है। मुनि प्रशमसेन विजयजी ने कहा कि विनयवान व्यक्ति सरल होता है। किसी भी धर्म क्रिया में आज्ञा महत्व रखती है आज्ञा बिना की क्रिया व्यर्थ है। विनयी व्यक्ति शत्रु से भी द्वेष नहीं रखता इसलिए जीवन में विनय को अपनाकर जीवन को सफल बनाएं।