हमें अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आना होगा
उज्जैन। आप सब पुण्यशाली हो, जिन्हें इस प्राचीन धार्मिक नगरी में रहने का सौभाग्य मिला। आज हमारी युवा पीढ़ी हमारी संस्कृति को भूलती जा रही है। हमें अपनी संस्कृति की रक्षा करने के लिए खुद ही आगे आना होगा। हम सिंहस्थ जैसे महापर्व में भी इसवीं सन् का उपयोग करते हैं, जबकि हमें सिंहस्थ 2016 के स्थान पर सिंहस्थ 2073 लिखना चाहिये।
यह बात ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआ पर आचार्यश्री हेमंचंद्र सागर सूरिश्वरजी मसा ने धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि पेढ़ी पर सिध्दचक्र आराधना तीर्थ वह स्थान है जहां हजारों वर्ष पहले श्रीपाल मयणा सुंदरी ने नवपद ओली तप आराधना कर कुष्ठ रोग को दूर कर अपना खोया राजपाट प्राप्त किया था। देशभर में इसकी ख्याति है। सभा के पूर्व दौलतगंज स्थित कांच के जैन मंदिर से बैंडबाजे के साथ मंगल प्रवेश जुलूस निकला जो सखीपुरा, इंदौरगेट, दौलतगंज से पेढ़ी पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गया। दोपहर में आचार्यश्री के सानिध्य में श्री अवंति पार्श्वनाथ मंदिर पर कल्याणमंदिर महापूजन हुई। आचार्यश्री साधु साध्वी मंडल रविवार को श्री मणिभद्रधाम भैरवगढ़ पहुंचेंगे। वहां महापूजन होगी। संतश्री आदिश्वर मंदिर नयापुरा की शिला स्थापना समारोह के लिए नगर में पधारे थे। आचार्यश्री हेमंचंद सागर सूरिश्वजरजी, आचार्यश्री जिनचंद सागर, सूरिश्वरजी का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश 22 जुलाई को रतलाम में होगा। इसके लिए वे उन्हेल, नागदा, खाचरौद होकर रतलाम तरफ विहार करेंगे। धर्मसभा में उपस्थित गौतमचंद धींग ने आचार्यश्री से आगामी चातुर्मास पेढ़ी पर करने की विनती की। इस अवसर पर श्रेणिक तप की आराधना शुरू करने वाले बाबूलाल बिजलीवाले, नेमीचंद जैन आदि ने भी आशीर्वाद प्राप्त किया। सभा में मंगलाचरण की प्रस्तुति मनोहर इंदु महिला मंडल व नवरत्न महिला मंडल ने दी। संचालन राहुल कटारिया ने किया। आचार्यश्री के साथ 9 मुनि तथा साध्वीश्री पुण्ययशाश्रीजी आदिठाणा मौजूद थे। पेढ़ी ट्रस्ट सचिव जयंतीलाल तेलवाला, सुरेश मिर्चीवाला, सुशील जैन, राजेन्द्र तवरेचा, तेजकुमार सिरोलिया, अभय दाता आदि उपस्थित थे। सभा उपरांत साधार्मिक वात्सल्य का भी आयोजन हुआ।