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गुरू के बिना नहीं मिलती धर्म की राह



इंदौर। गुरु के बिना धर्म और अध्यात्म की राह कभी नहीं मिल सकती। परमात्मा से मिलन व प्रभु के चरणों तक का मार्ग गुरु के मार्गदर्शन से ही संभव है। गुरु ही अज्ञानता से ज्ञान के प्रकाश में ले जाते हैं। गुरु के ही विचार व वचन व्यक्ति को मार्ग प्रशस्त करते हैं। व्यक्ति को ईश्वर से मिलाने और दर्शन के लिए मार्गदर्शन करते हैं।

उक्त विचार अनुयोगाचार्य श्री वीररत्नविजयी महाराज ने द्वारकापुरी स्थित श्री शीतलनाथ माणिभद्र जैन श्वेतांबर मंदिर ट्रस्ट में आयोजित तीन दिवसीय गुरुओं की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में व्यक्त किए। पहले दिन सोमवार को महाराज ने भगवान महावीर के संदेशों पर प्रकाश डाला। प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन हजारों समाज बंधुओं ने भाग लिया था। राजेश जैन ने बताया कि सोमवार को गुरुओं की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की शुरुआत श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याण पूजा के साथ की। महिला मंडल द्वारा जिनालय व भगवान की प्रतिमा का आकर्षक श्रृंगार किया गया। गुरुओं के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में कई वरिष्ठजन पहुंचे थे। बतौर अतिथि कांतिलाल बम, जीवराज सिंघी, नरेश भंडारी आदि उपस्थित थे।

आज होगा 18 अभिषेक विधान
3 जुलाई को प्रतिमाओं का आकर्षक श्रृंगार व नवकारसी का आयोजन होगा। इसी के साथ 18 अभिषेक महाविधान भी होगा। शाम को एक शाम गुरुदेव के नाम कार्यक्रम किया जाएगा, इसमें महिला मंडल व भजन गायकों द्वारा संगीतमय प्रस्तुति दी जाएगी। जगदगुरु तपागच्छाधिराज श्री हीरसूरीश्वर महाराज व तपागच्छसम्राट श्री भुवनभानुसूरीश्वर महाराज की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का मुख्य उत्सव 4 जुलाई को होगा।

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