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श्री राम राज्याभिषेक में अयोध्या सा झूमा श्रीराम कथा पांडाल



पुष्पवर्षा कर मनाई रामजी के राज्याभिषेक की खुशियां- विश्राम दिवस पर
सुनाए सुग्रीव मित्रता, सुंदरकांड लंकाकांड प्रसंग
उज्जैन। ‘‘आ गए रघुनंदन सजवा दो द्वार-द्वार, स्वर्ण कलश सजवा दो आ गए
रघुनंदन’’ श्रीराम कथा के विश्राम दिवस पर श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग
जैसे ही आया पूरा कथा पांडाल मानो अयोध्या सा झूम उठा और पुष्प वर्षा के
साथ सभी ने श्री राम जी के राज्याभिषेक की खुशियां मनाई इसके साथ ही
‘राजा बने रघुरैया अवध में आज बाजे बधैया’ गीत पर श्रद्धालु भक्ति में
झूम उठे। हनुमान जी द्वारा सुग्रीव और राम जी की मित्रता का प्रसंग कथा
में आया जिसमें हनुमान जी राम जी से मिले और बोले जैसे मां बच्चे का
बच्चे मां का, स्वामी सेवक का सेवक स्वामी का, वैसे ही आप मेरा ध्यान
रखें इस प्रसंग में गुरु जी द्वारा कहा गया है कि हमेशा अनुकूलन में रहे।
अपने इष्ट में सदा निष्ट रहें। काम न होने पर लोग भगवान बदल लेते हैं,
ऐसा न करें ईष्ट के प्रति निष्टता का भाव जागृत रखें।
उक्त बात चिंतामण रोड़ स्थित राष्ट्र भारती शिक्षण संस्थान में 9 दिवसीय
श्रीराम कथा में विश्राम दिवस पर पं. सुलभ शांतु महाराज ने कही। आपने कहा
मानव को स्वयं की नहीं ईश्वर की प्रशंसा करनी चाहिए जिनकी वह भक्ति करता
है जिस तरह हनुमान जी श्री राम जी की किया करते थे। श्री राम जी के
राजतिलक दौरान कथा पंडाल में पुष्प वर्षा की गई और सभी भक्ति भाव में झूम
उठे विश्राम दिवस पर सुग्रीव मित्रता, सुंदरकांड लंकाकांड, श्रीराम
राज्याभिषेक के प्रसंग सुनाए गए। आयोजन समिति के संजीव कुलश्रेष्ठ एवं
पुनीत अग्रवाल के अनुसार राज तिलक प्रसंग पर भगवान राम की तस्वीर पर तिलक
कर राज्याभिषेक किया। कथा समापन पर भंडारा आयोजित हुआ जिसमें चिंतामण,
जवासिया, लेकोड़ा, हासामपुरा, मंगरोला सहित आसपास के गांवों सहित शहर के
हजारों धर्मालुजनों ने प्रसादी ग्रहण की।

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