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भीषण गर्मी में भी कल-कल प्रवाहित जीवन-रेखा नर्मदा



          भीषण गर्मी के मौसम में जब प्रदेश की अनेक नदियाँ जल अभाव से ग्रस्त हैं वहीं प्रदेश की जीवन-रेखा नर्मदा का अविरल प्रवाह आँखों को तृप्ति और मन को शांति प्रदान करता है। नर्मदा के प्रवाह के विभिन्न स्थानों पर लिये गये 14 मई 2018 के चित्र इसके साक्षी हैं कि नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनरेखा के दायित्व का निर्वाह अबाध रूप से कर रही है।

        नर्मदा नदी पर बने रानी अवंती बाई लोधी सागर, इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर जैसे बड़े बाँधों में इस आड़े समय के लिये संग्रहीत जल ही नर्मदा के इस अविरल प्रवाह का मुख्य स्त्रोत हैं। नर्मदा जल संकट के समय में भी सिंचाई और पेयजल का विश्वसनीय आधार बनी हुई है। इसके साथ ही नर्मदा अपने आस-पास बसे ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं और असंख्य वन्य-प्राणियों के जीवन को सुरक्षा प्रदान कर रही है। जल संकट के समय नर्मदा का यह अविरल प्रवाह बड़े बाँधों की आवश्यकता का स्वयं सिद्ध प्रमाण है।

         उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अनूपपूर जिले में मेकल पर्वतमाला में बसा अमरकण्टक नर्मदा का उद्गम है। यहाँ से निकलकर गुजरात राज्य में खम्बात की खाड़ी से अरब सागर में समाहित होने तक नर्मदा 1312 किलोमीटर में प्रवाहित होती है। अपने उद्गम के बाद नर्मदा प्रदेश के अनूपपूर, डिण्डोरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा, खरगोन और बड़वानी जिलों से बहती हुई मध्यप्रदेश में कुल 1077 किलोमीटर की दूरी तय करती है। नर्मदा का कुल कछार क्षेत्र 98 हजार 796 वर्ग किलोमीटर है। इस कछार का 85 हजार 859 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मध्यप्रदेश में है, जो कुल कछार क्षेत्र का 87 प्रतिशत है। नर्मदा की सैकड़ों सहायक नदियाँ हैं, लेकिन जिन सहायक नदियों का जल-ग्रहण क्षेत्र 500 वर्ग किलोमीटर से अधिक है ऐसी 39 सहायक नदियाँ नर्मदा में मध्यप्रदेश की सीमा के अन्दर मिलती है।

        मुख्य सहायक नदियों में सिलगी, बलई, गौर, हिरन, बिरन्ज, तेन्दोनी, बारना, कोलार, सिप, जामनेर, चनकेशर, खारी, कनार, चोरल, कारम, मान, उरी, हथनी, खारमेर, दूधी, छोटा तवा, बुढनेर, सुखरी, कावेरी, बन्जर, तवा, खिरकिया, तेमुर, हाथेर, कुण्डी, सोनेर, गन्जाल, बोराड, शेर, अजनाल, डेब, शक्कर, माचक और गोई शामिल हैं।

दुर्गेश रायकवार

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