पूर्व जन्मों के पापों का नाश करता है बेलपत्र
हिंदू धर्म में कई सारे देवी-देवता हैं। इनमें से ही एक हैं भगवान शिव शंकर जी। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही नरम दिल हैं और अपने भक्त की पुकार बड़ी जल्दी सुन लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक सुबह शिवलिंग पर एक लोटा पानी चढ़ाने से भी शिव जी प्रसन्न रहते हैं और अपने भक्त की सारी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। इसके अलावा भगवान शिव की पूजा करने की कुछ खास विधियां बताई गई हैं जिनका पालन करके अपनी मनोकामना पूर्ण की जा सकती है। कहते हैं कि शिव जी की पूजा बेलपत्र के बिना पूरी ही नहीं होती है। इसलिए शिव की पूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं कि शिवपूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल करने की सही विधि क्या है।
कहते हैं कि शिव पूजन के दौरान प्रयोग में लाया जाने वाला बेलपत्र तीन पत्तियों से युक्त होना चाहिए। उस बेलपत्र में किसी भी तरह की कांट-छांट नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा शिवशिंग पर चढ़ाने से पहले उसी अच्छी तरह से साफ पानी में धो लेना चाहिए। बिना धोए हुए बेलपत्र को शिव पूजा में इस्तेमाल करने की सख्त मनाई है। कहा जाता है कि इससे शिव जी नाराज हो सकते हैं। शीघ्र विवाह के लिए भी बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा की जाती है। इसकी भी एक तय विधि है, जिसका पालन किया जाना जरूरी है।
इस विधि के अनुसार, 108 बेलपत्र लें और उस पर चंदन से प्रभु राम का नाम लिख दें। इसके बाद ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करते हुए उन्हें बारी-बारी से शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं। 108वां बेलपत्र चढ़ा लेने के बाद शिव से अपनी विवाह संबंधी इच्छा को प्रकट करें। कहते हैं कि इससे शिव जी भक्त की विवाह संबंधी समस्या दूर करते हैं और व्यक्ति को उसके तीन जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए बेलपत्र को शिव पूजन का अनिवार्य हिस्सा बताया गया है।