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जो सारे जग को पहचानें, वो शिव हो जाता है।



इंदौर। अराजकता, हिंसा, षड्यंत्र और छल-कपट से मिली जीत मन को कचौटती है। हम शस्त्र से डरते हैं लेकिन यह नहीं भूलें कि शास्त्र का डर होगा तो हम अधर्म के मार्ग पर नहीं चलेंगे और जीवन मर्यादा के साथ चलेगा। रीति और नीति से चलने वाला कभी दुखी नहीं हो सकता है। प्रभु राम ने सारे युद्ध नीति और रीति के साथ लड़े और जीते।

यह बात मानस मनीषी आचार्य पं. नारायण शास्त्री ने सोमवार को सुखलिया चौराहा स्थित भारतमाता मंदिर परिसर में कही। वे नौ दिनी संगीतमय श्रीराम कथा के समापन अवसर पर राम राज्याभिषेक प्रसंग पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रभु राम किसी पापी को मारते नहीं, वे तो अपने कर्मों के बोझ तले स्वयं ही दबकर नष्ट हो जाते हैं। राम कथा संशय को ही दूर करने का सबसे सहज और सरल माध्यम है। भगवान सिद्धि नहीं, शुद्धि से मिलेंगे। हमें मनुष्य शरीर भगवान की कृपा से ही मिला है। उनके नाम का स्मरण ही भक्ति है। रामचरित मानस में जीवन को धन्य बनाने के अनेक मंत्र भरे पड़े हैं। भक्ति के लिए हिमालय या गुफा में जाने की जरूरत नहीं हैं। भगवान को मिलना होगा तो वे आपकी साधारण भक्ति से भी प्रसन्ना हो जाएंगे। जो स्वयं को नहीं जानता, वह जीव है और जो सारे जग को जानता है वह शिव है। हमें भक्ति और धर्म का भी अहंकार हो जाता है। भक्त बनना बुरा नहीं है, उसका अहंकार बुरा है। निष्काम भक्ति ही भगवान को झुका सकती है। वनवास में प्रभु राम ने वनवासियों को गले लगाकर उनका उद्धार किया है।

पार्षद राजेंद्र राठौर, अशोक खंडेलवाल, आनंद शर्मा, सत्यम शर्मा, पीयूष तिवारी, प्रतीक राठौर, गजानंद गावड़े, धनराज राव, सुरजीत सिंह वाल्या ने व्यासपीठ का पूजन किया। विद्वान वक्ता की अगवानी अनिल राजगुरु, सतीश टंकवाल, राजेश रावत, आलोक तिवारी, राजेश यादव, सुभाष यादव, सन्नाी तिवारी, शशिकांत दुबे, कशिश टंकवाल आदि ने की।

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