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कर्मां से बनता है भाग्य


कानड़। परमात्मा का स्वरूप एक है। वह सर्वशक्तिमान है। दयालु है, अनंत है, सारे नामों से बड़ा ॐ नाम है। मन आपका शस्त्रु भी हो सकता है, मित्र भी। व्यक्ति का भाग्य उसके कर्मों से बनता है। कर्म रूपी फल में जैसा आप बोओगे वैसा ही काटोंगे, कर्म का फल भोगना पड़ता है। मनुष्य को चाहिए कि वह परमात्मा की व्यवस्था से चले। उससे जुड़कर चलने वाला कभी दुखी नहीं होता है।

यह विचार नवीन बस स्टैंड पर प्रारंभ हुई भगवत वेद कथा में 24 फरवरी को कथा वाचक अंजलि आर्य ने व्यक्त किए। कथा प्रारंभ में आर्य वीर दल व्यायाम शाला से चल समारोह प्रारंभ हुआ। इसमें अंजलिजी का स्वागत बजरंग मोहल्ले में मोहनलाल आर्य, पीपल चौक में महेश टेलर, गौंदी चौराह पर संतोष गुप्ता, सुरेश बरेठा, दयानंद मार्ग पर संतोष शर्मा, आर्य समाज कॉम्प्लेक्स के सामने महेश आर्य, डीएस आर्य, बलवंतसिंह आर्य, एलएस चौराह पर पूर्व नपध्यक्ष ओमप्रकाश पालीवाल, पार्षद दिलीपसिंह बीजापारी, गौरीशंकर सुर्यवंशी, कन्या हाईस्कुल के सामने मनोज गुप्ता, सारंगपुर रोड पर संतोष राठौर, सतीष राठौर ने स्वागत किया। गया। चल समारोह कथा स्थल पर पहुंचा यहां कथा वाचक अमन बैरागी, विधायक प्रतिनिधि दिनेश बरेठा, कालुसिंह बीजापारी, लोकेन्द्रसिंह सोंलकी, बालुसिंह परसुला आदि ने स्वागत किया। कथा दोपहर 12 से 3 बजे तक हो रही है।

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