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महिलाओं के स्वयं-सहायता समूह के फेडरेशन को टेकहोम राशन निर्माण फैक्ट्री चलाने की जिम्मेदारी दी जायेगी


उज्जैन । गत दिवस भोपाल के जंबूरी मैदान पर आयोजित महिला स्वयं-सहायता समूहों के राज्य स्तरीय प्रशिक्षण सह सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि  महिलाओं के स्व-सहायता समूह के फेडरेशन को टेक होम राशन निर्माण की फैक्ट्री चलाने की जिम्मेदारी दी जायेगी। उनके उत्पादों की बिक्री के लिये बड़े शहरों में बाजार स्थापित किये जायेंगे। शहरों में स्थित मॉल में किराये से दुकानें लेकर इनके उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की जायेगी। महिला स्व-सहायता समूहों के फेडरेशन को मिलने वाले पांच करोड़ रुपये तक के लोन की बैंक गारंटी सरकार लेगी। उन्होंने कहा कि राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित और अन्य स्व-सहायता समूह द्वारा लिये गये ऋण पर देय ब्याज का तीन प्रतिशत ब्याज सरकार चुकायेगी। उन्हें स्टाम्प शुल्क नहीं लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नये मध्यप्रदेश और नये भारत के निर्माण में आर्थिक रूप से सशक्त महिलायें मुख्य भूमिका निभायेंगी। सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। शिक्षकों की भर्ती में उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने की स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की ब्रांडिंग
मुख्यमंत्री ने राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिलाओं के स्व-सहायता समूह के उत्पादों को ब्रांडेड कंपनियों के उत्पादों से बेहतर बताते हुये कहा कि वे स्वयं इन उत्पादों का उपयोग शुरु करेंगे। उन्होंने आजीविका समूहों द्वारा निर्मित जड़ी-बूटी युक्त साबुन, कुटकी चावल, अगरबत्ती, रोस्टेट अलसी, गुड़ और फल्ली दाने की चिक्की, फूल मालाएं, हल्दी पाउडर जैसे उत्पादों की चर्चा करते हुये कहा कि वे स्वयं इन उत्पादों की ब्रांडिंग करेंगे। सरकार इन उत्पादों को खरीद कर इन्हें प्रोत्साहित करेगी। स्व-सहायता समूहों की सहायता और मार्गदर्शन के लिये तकनीकी सलाहकार और विशेषज्ञ जोड़े जायेंगे।
हर जिले में होगा महिला शक्ति-संगम
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व-सहायता समूह आर्थिक रूप से खुद को समृद्ध बनाने के अलावा सामाजिक जन-जागरण का काम भी करेंगे। इसमें नशा-मुक्ति, बाल विवाह रोकने, बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ अभियान चलाने जैसे काम शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों की गरिमा को धूमिल करने वाले नर-पिशाचों को फांसी देने का कानून बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर जिले में महिला शक्ति-संगम आयोजित होगा। इसके माध्यम से आर्थिक कल्याण और सामाजिक जन-जागरण के काम को आगे बढ़ाया जायेगा।
    पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने बताया कि महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को बैंक लोन उपलब्ध कराये गये हैं। इनसे 1 लाख 50 हजार परिवार जुड़े हैं। अगले साल 5 लाख परिवारों को जोड़ने की कार्य योजना बनायी जायेगी।
मुख्यमंत्री की घोषणाएँ-
•    स्व-सहायता समूहों के ऋण लेने पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं।
•    स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामग्री के विक्रय के लिए बड़े शहरों में व्यवस्था की जाएगी।
•    जिला, ब्लॉक, पंचायत स्तरों पर प्रशिक्षण के लिए आवश्यकतानुसार भवन उपलब्ध कराये जाएंगे। जहाँ आवश्यकता होगी, वहां भवन किराये पर लेकर समूहों को दिये जाएंगे।
•    शासकीय शालाओं की यूनिफॉर्म सिलने का कार्य समूहों को दिया जाएगा।
•    आँगनबाड़ियों में बच्चों तथा माताओं के लिये गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री निर्माण और प्रदाय करने का कार्य भी चरणबद्ध तरीके से महिला समूहों के फेडेरेशन को दिया जायेगा।
•    योग्य समूहों के परिसंघों को पाँच करोड़ रूपये की राशि की सीमा तक बैंकों से ऋण लेने पर सरकार द्वारा गारंटी दी जाएगी।
•    महिला स्व-सहायता समूहों को तीन प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान तीन लाख रूपये तक की ऋण सीमा तक दिया जाएगा।
•    प्रत्येक स्व-सहायता समूह के परिसंघ को संकुल स्तर पर अनाज भण्डारण हेतु आवश्यकतानुसार व्यवस्था की जाएगी।
•    स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार जैविक कीटनाशक, जैविक खाद, जैविक कल्चर, सरकार खरीदेगी और किसानों को देगी।
•    विकासखण्ड स्तर पर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के संचालन का दायित्व स्व-सहायता समूह एवं उनके परिसंघ को दिये जाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत बिल वसूलने की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूहों को दी जायेगी। उन्हें छह हजार रुपये मानदेय दिया जायेगा। औसत से ज्यादा राजस्व वसूली करने पर उन्हें पंद्रह प्रतिशत की दर से प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।

 

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