एकात्म यात्रा आज से प्रारम्भ होगी
उज्जैन । आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण अभियान हेतु 19 दिसम्बर से एकात्म यात्रा प्रारम्भ हो रही है। मध्य प्रदेश के तीन अन्य स्थानों के साथ-साथ उज्जैन के महाकालेश्वर मन्दिर से इस यात्रा का शुभारम्भ हो रहा है। उज्जैन से निकलने वाली यात्रा राजकोट के स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती के नेतृत्व में निकलेगी। यह यात्रा इन्दौर, देवास, राजगढ़, गुना, अशोक नगर, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया होते हुए ओंकारेश्वर पहुंचेगी। यह यात्रा 12 जिलों में होकर लगभग 2175 किलो मीटर की दूरी तय करेगी। महाकालेश्वर मन्दिर से प्रारम्भ होकर एकात्म यात्रा शोभायात्रा के रूप में कोट मोहल्ला, गुदरी, पटनी बाजार, गोपाल मन्दिर, छत्रीचौक, सतीगेट, कंठाल, नईसड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुण्डा चौराहा होकर सामाजिक न्याय परिसर पहुंचेगी। सामाजिक न्याय परिसर से एकात्म यात्रा तराना की ओर रवाना होगी।
विभिन्न सामाजिक संगठन शोभायात्रा का स्वागत करेंगे
महाकाल मन्दिर से प्रारम्भ होने वाली एकात्म यात्रा का स्वागत मार्ग में किराना व्यापारी एसोसिएशन, बड़ा सराफा व्यापारी संघ, छोटा सराफा व्यापारी संघ की ओर से पुष्पवर्षा कर किया जायेगा। मालवी भजन मण्डली द्वारा यात्रा के दौरान भजन की प्रस्तुति की जायेगी। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज अध्यक्ष सुश्री नन्दनी जोशी द्वारा यात्रा में सौ महिलाओं के साथ भागीदारी की जायेगी। सीनियर सिटीजन एसोसिएशन द्वारा माधव कॉलेज, देवासगेट पर स्वागत मंच लगाये जायेंगे। साथ ही चल समारोह में भजन मण्डली भी चलेगी। आलमपुर उड़ाना ग्राम से कलश यात्रा एवं उपयात्रा के माध्यम से जन-संवाद स्थल पर श्रद्धालु पहुंचेंगे। तिरूपति महिला जागृति संस्था, देवी अवन्तिका सामाजिक युवा कल्याण समिति द्वारा यात्रा में महापुरूषों के प्रतिरूप बग्घी पर चलेंगे। जन-स्वाभिमान आदिगौड़ समाज के द्वारा पांच स्थानों पर स्वागत मंच तैयार किये जायेंगे। पंडा-पुजारी समिति भी यात्रा में स्वागत मंच लगाकर यात्रा का स्वागत करेंगे। आस्था युवा मंच, सहेली महिला संगठन द्वारा चल समारोह में गरबा की प्रस्तुति दी जायेगी।
एकात्म यात्रा का महत्व
मध्य प्रदेश शासन द्वारा भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक एकता के महान दार्शनिक, सन्त एवं संस्कृत साहित्यकार, अद्वैत वेदान्त के प्रणेता, सनातन धर्म के ओजस्वी शक्तिप्रदाता आदि गुरू शंकराचार्य के योगदान के सम्बन्ध में जन-जागरण करने तथा ओंकारेश्वर में शंकराचार्यजी की प्रतिमा स्थापित करने के लिये धातु संग्रहण हेतु 19 दिसम्बर से एकात्म यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। एकात्म यात्रा चार स्थानों यथा- ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा रीवा एवं अमरकंटक से एकसाथ प्रारम्भ होकर 21 जनवरी 2018 को ओंकारेश्वर में समाप्त होगी। 51 जिलों से सांकेतिक धातु संग्रहण एवं जन-जागरण करते हुए यात्रा ओंकारेश्वर पहुंचेगी। 22 जनवरी 2018 को प्रतिमा की स्थापना हेतु भूमि पूजन, शिलान्यास तथा जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
भारतीय अस्मिता और राष्ट्रीय चेतना के आधार स्तंभ, सांस्कृतिक एकता और मानवमात्र में एकात्मता के उद्घोषक तथा अद्वैतवाद के अजेय योद्धा आदिशंकराचार्य ने मां नर्मदा के तट पर ज्ञान प्राप्त किया। सुदूर केरल से आठ वर्ष के बाल सन्यासी के रूप में वे 1200 वर्ष पूर्व दो हजार किलो मीटर की पदयात्रा कर गुरू की खोज में गुरू गोविन्दपाद के आश्रम में पहुंचे। वहां तीन वर्ष में ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के पश्चात उपनिषदों, ब्रह्मसूत्र एवं गीता पर भाष्य लिखा एवं अद्वैत मत की स्थापना के लिये सम्पूर्ण भारत की यात्रा पर निकल पड़े। जीव ही ब्रह्म है का उद्घोष करते हुए सम्पूर्ण भारत में सामाजिक विद्रुपता तथा पाखण्ड का नाश कर सामाजिक समरसता, एकात्मता एवं सहजता का ध्वज फहराया। आशुतोष शिव के रूप में अवतरित आदिशंकराचार्य ने भारत की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक सामन्जस्य एवं एक्य संस्थापन का महत्वपूर्ण कार्य किया।
भारत की आध्यात्मिक शक्ति के अविरल प्रवाह को सशक्त रूप से प्रवाहमान बनाये रखने में आदिशंकराचार्य के कार्य एवं दर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। आदिशंकराचार्य ने परमात्मा के साकार एवं निराकार दोनों रूपों को मान्यता दी। उन्होंने सगुण धारा की मूर्तिपूजा और निर्गुण धारा के ईश्वर दर्शन की अपने ज्ञान एवं तर्क के माध्यम से सार्थकता सिद्ध की। आदिगुरू का एकात्मवाद सम्पूर्ण विश्व को धर्म, पथ, रंग, जाति, लिंग, प्रजाति एवं भाषा आदि की विविधताओं से परे एक सूत्र में बांधने का दर्शन है। आदिगुरू शंकराचार्य ने भारत को सांस्कृतिक एकता में बांधने का महान कार्य किया। भारतीय संस्कृति के विस्तार में भी इनका अमूल्य योगदान रहा। एक ऐसे समय जब देश और दुनिया को भौगोलिक रूप से ही नहीं, वरन मानवीय संवेदनाओं के आधार पर विभाजित करने का प्रयत्न किया जा रहा है, तब आदिगुरू शंकराचार्य का जीवन एवं उनकी शिक्षाएं अत्यन्त प्रासंगिक हो जाती हैं।
आदिशंकराचार्य के जीवन में यात्राओं का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। ज्ञान एवं चेतना के विस्तार एवं सामाजिक बुराईयों को समाप्त करने हेतु की गई इन यात्राओं में कुछ स्थान ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा रीवा एवं अमरकंटक भी सम्मिलित रहे हैं। एकात्म यात्रा इन चार पवित्र स्थानों से प्रारम्भ की जा रही है। इस यात्रा के दौरान आदिशंकराचार्य के जीवन दर्शन पर आधारित जन-संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। इसमें आदिशंकराचार्य के जीवन एवं कर्तव्य का पावन स्मरण कर ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची धातु की विशाल प्रतिमा के निर्माण हेतु समाज के सभी वर्गों से धातु का संग्रहण किया जायेगा।
एकात्म यात्रा की रणनीति
आदिशंकराचार्य की प्रतिमा हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण अभियान के आयोजन हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 102 सदस्यीय राज्य स्तरीय आयोजन समिति का गठन किया गया है। इसी तरह जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिला स्तरीय आयोजन समिति बनाई गई है। चयनित चारों यात्रा मार्गों हेतु समन्वयक, रूट प्रभारी नियुक्त किये गये हैं। प्रत्येक यात्रा दल का नेतृत्व धर्माचार्यों द्वारा किया जायेगा। प्रस्तावित चार दलों के द्वारा प्रतिदिन एक जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित होगा। यात्रा के 35 दिवस में 140 जिला स्तरीय जन-संवाद आयोजित होंगे। जन-संवाद के दौरान आदिशंकराचार्य के जीवन वृत्तांत पर जानकारी दी जायेगी। आमजनों से सांकेतिक रूप से धातु संग्रहण के लिये आव्हान किया जायेगा। यात्रा के लिये चारों स्थानों पर एक-एक केरावान वाहन लगाये जायेंगे। इन वाहन में साधु, सन्त एवं विशेषज्ञ रहेंगे। यात्रा के आकर्षण हेतु आदिशंकराचार्य द्वारा विरचित स्त्रोतों का गायन होगा। यात्रा के दौरान ध्वज का उपयोग किया जायेगा। रात्रि विश्राम के समय आदिशंकराचार्य पर निर्मित फिल्म का प्रदर्शन होगा।
यात्रा दलों को यथासंभव किसी मन्दिर, धर्मशाला अथवा किसी सामाजिक संस्था के भवन में रात्रि विश्राम करवाया जायेगा। चारों यात्रा दल 21 जनवरी 2018 की रात्रि तक ओंकारेश्वर पहुंचेंगे। 22 जनवरी 2018 को ओंकारेश्वर में प्रतिमा स्थापना हेतु भूमि पूजन तथा शिलान्यास कार्यक्रम जन-संवाद के साथ होगा। जिला स्तर पर आदिशंकराचार्य विषय पर विद्यालयीन छात्र-छात्राओं के मध्य चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। जिला स्तर पर महाविद्यालयीन एवं विश्वविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के मध्य ‘अद्वैत वेदान्त दर्शन-जीव, जगत एवं जगदीश की सार्वभौमिक एकता’ विषय पर संभाषण प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी।