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विद्यार्थी के मूल्यांकन का आधार गुण न होकर पैकेज हो गया है- श्री महेंद्र कुमार


उच्च शिक्षा में नैतिक मूल्य और गुणवत्ता पर परिचर्चा का आयोजन हुआ।

 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा में नैतिक मूल्य और गुणवत्ता पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। आयोजन के प्रमुख अतिथि अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रभारी श्री महेन्द्र कुमार जी, वाराणसी थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शीलसिन्धु पाण्डेय ने की।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रभारी श्री महेंद्र कुमार ने कहा कि आज शिक्षा की स्थिति प्रयोगशाला की तरह हो गई है। गुणवत्ता और नैतिक मूल्यों के प्रसार में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। कुछ दशक पहले आर्थिक युग की शुरूआत हुई, तभी से व्यक्ति का स्वयं पर से विश्वास उठता जा रहा है। नए नए प्रकार के पाठ्यक्रम प्रारम्भ हो रहे हैं, किन्तु मौलिक विज्ञान और मानविकी के पाठ्यक्रमों की उपेक्षा हो रही है। यह दुर्भाग्य का विषय है कि आज विद्यार्थी के मूल्यांकन का आधार गुण न होकर पैकेज हो गया है।

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो शीलसिन्धु पाण्डेय ने कहा कि एक दौर में शिक्षक की भूमिका पालक की थी, वह बदल रही है। हम पश्चिम की नकल कर रहे हैं। मौलिक सोच समाप्त हो रहा है, इस स्थिति को बदलने की आवश्यकता है। शोध में संख्या नहीं, गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण है। गुणवत्ता वृद्धि के लिए कक्षा अध्यापन में निरंतरता जरूरी है। विद्या से विनय आता है, उसी से शील आता है।

परिचर्चा आयोजन में कुलसचिव डॉ परीक्षित सिंह, प्रो एच पी सिंह, प्रो बालकृष्ण शर्मा, प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ राकेश ढंड, डॉ राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर, डॉ डी डी बेदिया, डॉ कमलेश दशोरा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

प्रारम्भ में अतिथि को शॉल एवं श्रीफल अर्पित कर उनका सम्मान कुलपति प्रो शीलसिन्धु पाण्डेय और कुलसचिव डॉ परीक्षित सिंह ने किया।

अतिथि परिचय विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ राकेश ढंड ने किया। मंगलाचरण डॉ राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर ने किया।

संचालन कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ परीक्षित सिंह ने किया।

 

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