गांव के कचरे का निपटान बेहतरी से किया जाये –संयुक्त आयुक्त विकास ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई
उज्जैन। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन से गांव में स्वच्छता में बेहतरी लाई जा
सकती है। गांव में कचरे का प्रबंधन ठीक से करने के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता है। ग्रामीणों को समझाने
के लिये सरपंच एवं सचिव निरन्तर प्रयास करेंगे, तभी स्वच्छता का लक्ष्य हासिल हो सकेगा। उज्जैन संभाग
में उज्जैन, शाजापुर, नीमच, देवास ओडीएफ घोषित हो चुके हैं। ओडीएफ घोषित होने से एक-तिहाई स्वच्छता
का लक्ष्य प्राप्त होता है। सम्पूर्ण स्वच्छता के लिये ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
यह बात संयुक्त आयुक्त विकास श्री प्रतीक सोनवलकर ने ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर आयोजित
एक दिवसीय कार्यशाला में बृहस्पति भवन में कही। कार्यशाला में संभाग की विभिन्न जनपदों के मुख्य
कार्यपालन अधिकारी, सरपंच, सचिव, जिला समन्वयक स्वच्छता मिशन शामिल थे। कार्यशाला में स्वच्छता
मिशन से जुड़े हुए समन्वयक श्री सुधीर जैन एवं संभागायुक्त कार्यालय के डॉ.एसके श्रीवास्तव एवं श्री शाश्वत
मौजूद थे।
कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए भोपाल से आये अधिकारी श्री सुधीर जैन ने कहा कि ओडीएफ से
बड़े पैमाने पर गन्दगी का निपटान हो जाता है, किन्तु आंकड़ों का अध्ययन करें तो इससे केवल 40 प्रतिशत
गन्दगी दूर की जा सकती है। सम्पूर्ण स्वच्छता के लिये ओडीएफ के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन
करना आवश्यक है। वर्तमान में व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक कचरा पैदा करता है और इसे मनचाहे
स्थान पर फैला देता है। हमारे यहां खुले में शौच करना अब शर्मिन्दगी का विषय बन गया है, किन्तु खुले में
कचरा फैलाने में किसी को शर्म महसूस नहीं होती। जब तक खुले में कचरा फैलाने से व्यक्ति लज्जित नहीं
होगा, तब तक इस कुप्रवृत्ति पर काबू पाना मुश्किल है। यद्यपि कचरा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है, पर यह
कार्य उतना कठिन नहीं है।
कचरे से कंचन
पर्यावरण की रक्षा करना हमारा सबसे बड़ा उत्तरदायित्व है खासकर जो शहरों में रहते हैं उनके लिए
दिन पे दिन शहरों की आबादी बढ़ती जा रही है साथ ही रोज़गार उत्पन्न करने के लिए उद्योगों में भी
इज़ाफ़ा हो रहा है और हर तरह का बोझ बढ़ रहा है ऐसे में स्वच्छ वातावरण, स्वास्थ्य वर्धक सुविधाओं का
उपलब्ध होना अत्यन्त कठिन है हम अपनी तरक्की के बारे में तो सोचते हैं लेकिन इस तरक्की में हमने
अपने वातावरण को काफी पीछे छोड़ दिया है |
हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी प्रकृति के साथ तारतम्यता बनाकर जीना है और उसी के मुताबिक
अपनी जीनशैली को ढालना है। इसके लिए हमें कई कदम उठाने होंगे ऐसा ही एक कदम है "कचरा प्रबंधन"|
कचरा निस्तारण, रीसायक्लिंग, कचरे से ऊर्जा उत्पादन इन सभी को कचरा प्रबंधन या वेस्ट मैनेजमेंट कहा
जाता है। कचरे से कंचन पैदा किया जा सकता है। रिसायक्लिंग से कई उपभोक्ता वस्तुएं बाजार में दोबारा
उपलब्ध हो जाती है जो कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में कमी ला रही है। कागज़ की रीसाइक्लिंग से जहाँ
पेड़ों की कटाई में कमी आएगी वही जो कचरा घरों से निकला है उससे बायो कम्पोस्ट और मीथेन गैस में
बदला जाता है जो की अच्छे खाद के रूप में उपयोग किये जातें हैं | इसके अलावा पर्यावरण के अनावशयक
दोहन से भी मुक्ति मिलती है |
स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य कचरा प्रवंधन के माध्यम से ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता में
सुधार लाना है। ठोस एवं तरल कूड़ा-कचरा प्रबंधन गांव में पंचायतों के लिए आमदनी का एक साधन भी बन
रहा है । ग्राम-पंचायतें स्थाई ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में समर्थ हो
रही ये योजना गावों को काफी लाभ दे रही है यानि कचरा प्रबंधन से गावं स्वस्थ्य भी और संपन्न भी |