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सत्याग्रह पर बैठे अन्ना हजारे, राजघाट पर कर रहे एक दिनी सत्याग्रह, जल्द बड़े आंदोलन की तैयारी


गांधी जयंती के मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे दिल्ली के राजघाट पर एक दिन के सत्याग्रह पर बैठ गए हैं. उन्होंने कहा, मैं राजघाट पर गांधी जी को नमन करने आया हूं. आज व्यथित होने का एक कारण है.  अन्ना ने कहा कि दुखी नही हू, दुखी स्वार्थी लोग होते हैं.

अन्ना हजारे सोमवार को सुबह पुणे से दिल्ली आए और सीधे गांधी समाधि राजघाट पहुंचे, जहां अन्ना हजारे बापू को श्रद्धांजलि दिया.

अन्ना हजारे ने रविवार को कहा था कि देश महात्मा गांधी के सपने के रास्ते से भटक गया है. इसीलिए वह गांधी जयंती के मौके पर एक दिन का सत्याग्रह करेंगे.इसी मद्देनजर सोमवार को अन्ना हजारे गांधी समाधि पर पहुंचकर सत्याग्रह शुरू किया.

दरअसल पिछले दिनों अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर भ्रष्टाचार और किसानों की समस्‍याओं पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और आंदोलन करने की भी बात कही थी.

अन्‍ना ने लेटर में लिखा था कि उनके आंदोलन के छह साल बाद भी भ्रष्टाचार को रोकने वाले एक भी कानून पर अमल नहीं हो पाया. लोकपाल, लोकायुक्त की नियुक्ति करने वाले और भ्रष्टाचार को रोकनेवाले सभी सशक्त बिलों पर सरकार सुस्ती दिखा रही है. किसानों की समस्याओं को लेकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर भी अमल नहीं किया जा रहा है. सरकार के इस रवैए से नाराज अन्ना हजारे ने लेटर में तमाम मसलों के बारे में लिखा था और अब कोई जवाब नहीं मिलने पर दिल्ली में आंदोलन करने की भी बात कही थी.

6 साल हो गए आंदोलन के
अन्ना हजारे  ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत को बनाने के लिए 2011 में रामलीला मैदान में आंदोलन किया था. इसके बाद 27 अगस्त 2011 के दिन भारतीय संसद में ‘Sense of the House’ से रिज्युलेशन पास किया गया था. इसमें केंद्र में लोकपाल, हर राज्यों में लोकायुक्त और सिटिजन चार्टर ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था. इसके बाद अन्ना हजारे ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था. इसे लेकर 6 साल गुजर चुके हैं. अन्ना ने कहा कि पिछली केंद्र सरकार ने 2013 में ही लोकपाल विधेयक पारित कर दिया था और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने तब उसका समर्थन किया था, लेकिन तीन वर्ष बाद भी इस कानून को लागू नहीं किया गया, जो मोदी की उदासीनता को जाहिर करता है,

'बीजेपी ने नहीं निभाया अपना वादा'
अन्ना हजारे ने मोदी को लिखे गए लेटर में कहा कि  लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनते समय संसद के दोनो सदनों में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी ने भी इस कानून को पुरा समर्थन दिया था. इसके बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में आपकी पार्टी सरकार बनी. लोकपाल आंदोलन के बाद देश की जनता ने बड़ी उम्मीद से आपके नेतृत्व में नई सरकार को चुना था. वहीं नई सरकार को मुद्दों पर अमल करने के लिए पर्याप्त समय देना जरुरी था. अन्ना हजारे ने पिछले तीन सालों में कई बार पत्र लिखने का जिक्र भी किया, लेकिन पीएमओ से कोई जवाब नहीं मिला. इतना ही नहीं ना कभी मन की बात में लोकपाल और लोकायुक्त का जिक्र किया गया. उन्होंने लिखा है कि सत्ता में आने से पहले आपने आश्वासन दिया था कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाएंगे. हालांकि आप 3 साल से लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ती नहीं कर सके. सुप्रीम कोर्ट ने भी आपकी सरकार को बार-बार फटकार लगाई है.  इससे ये साफ है कि आप लोकपाल, लोकायुक्त कानून पर अमल करने के लिए इच्छाशक्ति नहीं दिखा रहे हैं.

किसानों की समस्‍या पर भी नहीं दिया जवाब
अन्ना हजारे ने देश में लगातार किसानों की आत्महत्या का भी जिक्र किया है. अन्‍ना के अनुसार, मौजूदा वक्त में खेती पैदावारी में किसानों को लागत पर आधारित दाम मिले इसलिए मैंने कई बार पत्र लिखा था. हालांकि न आपकी तरफ से कोई जवाब आया और न ही स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई. इसी वजह से पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, तेलंगना, हरियाणा, राजस्थान में किसान आंदोलन कर रहे हैं. साथ ही लेटर में अन्‍ना ने राजनैतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने की मांग भी की.

 अब आंदोलन
अन्ना हजारे ने पत्र के जरिए कहा कि पिछले 3 साल में आपकी सरकार ने किसी पत्र का जवाब नहीं दिया. इसके लिए अब मैने दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय लिया है. जब तक लेटर में लिखें मुद्दों पर जनहित में सही निर्णय और अमल नहीं होता तब तक मैं आंदोलन दिल्ली में जारी रखुंगा. अन्ना हजारे ने अगले पत्र में आंदोलन की तारीख की घोषणा करने की बात कही थी. यही वजह है कि गांधी जयंती के मौके पर उनका सत्याग्रह उसी मद्देनजर देखा जा रहा है.

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