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पीएम बनने की बजाय इस जगह होना चाहते थे पीएम मोदी


नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी पर सोमवार को ONGC के नए कॉरपोरेट ऑफिस का इनॉगरेशन किया। अपनी स्पीच में प्राइम मिनिस्टर ने 600 करोड़ की लागत से बने इस ऑफिस पं. दीनदयाल उपाध्याय ऊर्जा भवन का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "भवन देखकर ऐसा लगा कि पीएम बनने की बजाय यहां आता तो अच्छा होता। लेकिन बहुत-सी चीजें मेरे नसीब में नहीं हैं।" इस प्रोग्राम में उन्होंने हर घर बिजली पहुंचाने की स्कीम सौभाग्य को भी लॉन्च किया।

मोदी ने स्पीच में इस तरह की ऊर्जा भवन की तारीफ
- नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज एक साथ तीन पवित्र अवसरों की त्रिवेणी का अवसर बना है। आज नवरात्र का पांचवां दिन है। आज स्कंद माता की पूजा की जाती है। उन्हें सौर मंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। नवरात्र के इन दिनों में महिलाओं की सुरक्षा और उनकी जिंदगी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की शुरुआत होने जा रही है। आज ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है। आज ही दीनदयाल ऊर्जा भवन मिल रहा है। पर्यावरण के अनुकूल इस ग्रीन बिल्डिंग का लोकार्पण करते हुए मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है।"

- ''ये भवन देखा तो लगा कि अच्छा होता कि प्रधानमंत्री बनने की बजाय यहां आता। लेकिन खैर बहुत-सी चीजें हैं जो मेरे नसीब में नहीं हैं। मैं आप लोगों को इस भवन के लिए बधाई देता हूं। आज ऊर्जा, अध्यात्म और तकनीक, तीनों ही क्षेत्र रोशनी से जगमग हैं।''

ऊर्जा भवन की खास बातें, 5 प्वाइंट
1) 600 करोड़ की लागत से बनी है बिल्डिंग
- ऊर्जा भवन का निर्माण 600 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। पहले ONGC इसे अपनी विदेशी कंपनी ओएनजीसी विदेश का कॉरपोरेट ऑफिस बनाने वाली थी। इस बिल्डिंग को इसी साल फरवरी में यूएस ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की तरफ से लीडरशिप इन एनर्जी एंड एन्वायरन्मेंटल डिजाइन (LEED) प्लेटिनम अवॉर्ड भी दिया गया।

2) 77 फीसदी एरिया सौर ऊर्जा से रोशन होगा
- ONGC का दावा है कि इस बिल्डिंग का 76.5 फीसदी से ज्यादा एरिया सौर ऊर्जा से रोशन होगा, ये एरिया करीब एक लाख स्क्वेयर मीटर का है। यहां 250 किलोवाट फोटो वोल्टिक पावर जनरेशन के अलावा सोलर हॉट वॉटर सिस्टम है।

3) पानी भी कम लगेगा और एनर्जी भी
- ये कॉरपोरेट ऑफिस एनर्जी की खपत कम करेगा। दूसरे ऑफिसों में एनर्जी के मुकाबले यहां प्रति स्क्वेयर फीट खपत करीब आधी होगी। इतना ही नहीं, इस ऑफिस में हर शख्स पर होने वाली पानी की खपत भी दूसरे ऑफिसों के मुकाबले 36 फीसदी कम होगी।

- ONGC के मुताबिक, एनर्जी परफॉर्मेंस इंडेक्स के मुताबिक, ऊर्जा भवन की खपत 150 kWh/sqm/year है, जबकि देश की दूसरी कमर्शियल बिल्डिंग्स में 300KWh/sqm/year की खपत होती है।

4) CO2 का उत्सर्जन भी कम होगा
- यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के तहत ये ये बिल्डिंग क्लीन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में रजिस्टर्ड है। इसमें हर साल 5,944 मीट्रिक टन कार्बन इमिशन रिडक्शन (CER) होगा। यहां CO2 सेंसर्स भी लगे हैं। बिल्डिंग के लिए साइट सिलेक्शन, डिजाइन और कंस्ट्रक्शन के दौरान भी एन्वायरन्मेंट का ध्यान रखा गया है। करीब 90 फीसदी कंस्ट्रक्शन वेस्टेज को लैंडफिल से हटा दिया गया है। इसके लिए पूरे मटीरियल का 70 प्रतिशत लोकल इको सिस्टम से लिया गया है, ताकि वर्जिन मटीरियल की खपत कम हो सके।

5) मनमोनहन ने दिया था ग्रीन बिल्डिंग नाम
- 2007 में इस बिल्डिंग की नींव रखते वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिल्डिंग को राजीव गांधी ऊर्जा भवन नाम दिया था। मोदी सरकार में इसे दीन दयाल उपाध्याय का नाम मिला।

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