आज तक नहीं पता चल सकी इस कुएँ की गहराई, सम्राट अशोक ने बनवाया था ये कुआँ
कहने को तो ये एक कुआं है, लेकिन इसकी गहराई और इससे जुड़े राज आज तक कोई नहीं जान पाया है। जो इसकी गहराई के बारे में जानता था वो आज इस दुनिया में है नहीं और जो हैं वो इसकी गहराई और रहस्यों को पता नहीं लगा पा रहे हैं।
एक बार नहीं बल्कि तीन बार इस कुएं की गहराई मापने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। यहां हम बात कर रहे हैं उस कुएं की जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था और कहा जाता है अशोक ने अपने सारे भाईयों को मारकर उनकी लाशों को इसी कुएं में फिकवा दिया था।
इस कुएं से जुड़े पांच ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया, और हम आज उन्हीं रहस्यों से परदा उठाने की कोशिश करेंगे।
कितनी है गहराई, सबसे बड़ा सवाल
अगम का मतलब है जिसके तल यानि गहराई का कुछ अता-पता ना हो। ऐसा कहा जाता है कि ये कुआं बहुत गहरा है। ना तो ये कभी
सूखता है और ना ही कभी इसका पानी बाहर आता है।
माना जाता है कि अंग्रजों ने कई चारपाइयों की रस्सी के जरिए इस कुएं की गहराई मापने की कोशिश की लेकिन वो भी पता नहीं कर पाए। इस कुएं की गहराई आज तक रहस्य ही है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अगम कुएं की गहराई को जानने की तीन बार कोशिश की गई लेकिन हर बार नाकामयाबी ही हाथ लगी।
साल 1962 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह ने भी इसकी गहराई मापने की कोशिश की, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। वहीं 1995 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राज में कुएं की गहराई मापने की कोशिश की, लेकिन असफलता ही मिली।
हालांकि पुरातत्व विभाग का कहना था कि इस कुएं की गहराई करीब 105 फीट के आस-पास है और इसीलिए इसका नाम अगम कुआं रखा गया। 1909 तक इस कुएं का नाम आदम कुआं था।
गंगासागर से है कनेक्शन!
कुएं की देखभाल करने वाले तत्कालीन महंत मुन्ना मालाकर ने दावा किया था कि ये कुआं नीचे-नीचे ही गंगासागर से जुड़ा हुआ है और इसीलिए इसका पानी ना तो घटता है और ना ही बढ़ता है।
मालाकर ने आगे कहा था कि अंग्रेजों के जमाने में पश्चिम बंगाली की यात्रा कर रहे एक अंग्रेज बहादुर की छड़ी गंगा में गिर गई थी जो
बाद में इस कुएं में तैरते हुए दिखाई दी।
ये छड़ी आज भी कोलकाता एक म्यूजियम में रखी हुई है।
कुआं नहीं टॉर्चर का रूम ?
सम्राट अशोक के शासनकाल में भारत यात्रा पर आए कई चीनी यात्रियों, खासकर फा हीन ने अपनी किताब में इस बात का उल्लेख किया था कि अशोक उस कुएं का उयोग अपने शत्रुओं को टॉर्चर करने के लिए करता था।
इतना ही नहीं, उसने अपने सभी भाइयों को मारकर उनकी लाशों को इसी कुएं में फिकवा दिया था।
यही नहीं, अशोक युद्धबंदियों को भी टॉर्चर करने के बाद जिंदा ही कुएं में फिकवा देता था। शायद इसीलिए इस कुएं का नाम आदम कुआं पड़ा क्योंकि यहां पर आदम यानि
इंसानों के शव दफन पड़े हैं।
अभी भी छिपा है खजाना!
कहा जाता है कि इस कुएं के अंदर कुछ छोटे-छोटे 9 कुएं और हैं, एक तहखाना भी है। कहते हैं कि तहखाना खोजने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगी।
हालांकि कई बार गहराई तक जाने पर सोने के सिक्के और पैसे जरूर निकले, लेकिन तहखाना किस कौने में है, ये नहीं पता चल पाया।
कई लोग मानते हैं कि कुएं की इतनी ज्यादा गहराई पुष्टि करती है कि सम्राट ने इतना गहरा कुआं खजाना छिपाने के लिए ही खुदवाया होगा। वरना खुद सोचिए कि उस समय में 20 फीट खोदने पर ही पानी निकल आता था तो फिर भला 105 फीट गहरा कुआं किस मकसद से खोला गया होगा।
बेशक अभी तक खजाना नहीं मिल पाया हो, लेकिन इसकी गहराई और उसमें छिपे रहस्य जानने के लिए प्रयास तो हमेशा होते रहेंगे।