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विकीलीक्स ने किया दावा, ‘CIA ने लगाई आधार डेटा में सेंध’


अमरीका ने एक फिर फिर भारतीय लोकतंत्र की जड़ें हिला कर दी हैं।  विकीलीक्स ने अपने एक रिपोर्ट में आशंका जताई है कि अमरीकी खुफिया एजैंसी CIA साइबर जासूसी के लिए अमरीका आधारित प्रौद्योगिकी प्रदाता ‘क्रॉस मैच टेक्नोलॉजिस’ द्वारा तैयार किए गए टूल्स का उपयोग कर रही है, जिसमें आधार डाटा शामिल हो सकता है। हालांकि भारत के आधिकारिक सूत्रों ने इसे खारिज किया है। इससे पहले अमरीका द्वारा भारत की ईवीएम हैक करने का मामला सामने आया था। 

क्रॉस मैच टैक्नोलॉजिस, आधार के लिए वैधानिक निकाय, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को बॉयोमीट्रिक उपकरण प्रदान करता है। विकीलीक्स के दस्तावेजों का कहना है कि CIA ने एक्सप्रेसलेन, जो की क्रॉस मैच टेक्नोलॉजिस द्वारा तैयार किया गया एक उपकरण है, का इस्तेमाल किया है. इसी से ये दावा किया गया है कि CIA  ने आधार में सेंध लगाई है।

विकीलीक्स ने शुक्रवार को ट्वीट करके एक आर्टिकल शेयर किया। इस लेख में क्रॉस मैच के भारत में ऑपरेशन और कंपनी के पार्टनर स्मार्ट आइडैंटिटी डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र है। इस कंपनी ने आधार डाटाबेस में 12 लाख भारतीय नागरिकों को जोड़ा है। ट्वीट में लिखा है, 'क्या CIA के जासूस भारत के राष्ट्रीय पहचान डाटाबेस को चुरा चुके हैं?' कुछ देर बाद, एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'क्या सीआईए ने भारत का आधार डाटाबेस चुरा लिया है?'

विकीलीक्स के लेख में कहा गया है कि यूआईडीएआई, जहां तक ज्ञात है, इन कंपनियों या उनके व्यवसाय, पेशेवर और निजी संगठनों की पृष्ठभूमि की जांच नहीं कर पाई। यह दावा करता है कि CIA एजेंट रियलटाइम में आधार डाटाबेस का उपयोग कर सकते हैं। विकीलीक्स ने ट्वीट किया कि क्या CIA के जासूस पहले से ही भारत की राष्ट्रीय पहचान पत्र डाटाबेस चोरी कर चुके हैं? इसके बाद एक और ट्वीट किया गया, जिसमें लिखा था कि क्या CIA ने पहले से ही भारत का आधार डाटाबेस चोरी कर लिया है?

हालांकि आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट विकीलीक्स ने लीक नहीं की है, बल्कि ये एक वेबसाइट के द्वारा रिपोर्ट है।क्रॉस मैच बायोमेट्रिक डाटा कैप्चर के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता है। लेकिन एकत्र किए गए डेटा कंपनी या किसी अन्य इकाई तक नहीं पहुंच सकते क्योंकि विक्रेता एन्क्रिप्टेड रूप में डेटा एकत्र करते हैं जो आधार सर्वर को स्थानांतरित किया जाता है। रिपोर्टों में वास्तव में कोई आधार नहीं है। आधार डेटा सुरक्षित रूप से एन्क्रिप्ट किया गया है और कोई भी एजेंसी इस तक नहीं पहुंच सकती।

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