top header advertisement
Home - राष्ट्रीय << पाकिस्तान में रह रहे थे, 31 साल बाद बन पाऐं हिन्दुस्तानी

पाकिस्तान में रह रहे थे, 31 साल बाद बन पाऐं हिन्दुस्तानी


बरेली.यूपी के बरेली में गुरुवार को कलेक्ट्रेट ऑफि‍स में चार परिवारों के पाकिस्तान में रह रहे छह लोगों को भारतीय नागरिकता दी। इनमें से एक परिवार की मां-बेटी को 31 साल के लंबे इंतजार के बाद भारतीय नागरिकता मिली है।

बरेली के यूसुफ का निकाह करांची की शबाना से हुआ
- बरेली के रहने वाली यूसुफ अली खान का निकाह पाकिस्तान की करांची में रहने वाली शबाना से 24 अगस्त 1986 को हुआ था।

- शाबाना, यूसुफ के साथ लॉन्ग टर्म वीजा पर बरेली रहने आ गईं, लेकिन वीजा की मियाद खत्म होने पर शबाना को वापस पाकिस्तान जाना पड़ा।

- इस दौरान शबाना प्रेग्नेंट थी और उनकी बेटी महक का जन्म पाकिस्तान में हुआ। ऐसे में कानूनन महक भी पाकिस्तानी नागरिकता के साथ पैदा हुई। अब मां-बेटी व यूसुफ के बीच सरहद की दीवारें आड़े आने लगी।
- काफी दिक्कतों का सामना करते हुए कभी शबाना अपनी बेटी के साथ बरेली तो कभी यूसुफ अपने बच्चों से मिलने करांची आते-जाते रहे।

31 साल बाद मिला हिंदुस्तानी कहलाने का गौरव
- इस दौरान यूसुफ ने अपने बच्चों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए लंबी कागजी लड़ाई लड़ी और एम्बेसी के चक्कर काटे, लेकिन मुश्किलें आसान नहीं हुई।
- 31 साल बाद 24 अगस्त 2017 को उनको बरेली में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ स्थायी तौर पर रहने का हक हासिल हुआ।

- एडीएम सिटी ओपी वर्मा ने महक और शबाना को भारतीय नागरिकता का सर्टि‍फि‍केट दिया।
- अपनी शादी की 31वीं सालगिरह पर ये हक म‍िलने पर यूसुफ का परिवार खुश है।
3 और परिवारों के 4 लोगों को मिली भारतीय नागरिकता

- बता दें, यूसुफ ने अपनी बेटी महक की भी शादी इंडिया में कर दी।
- महक के सात और पांच साल की दो बेटियां है, जिनका जन्म बरेली में ही हुआ।
- इस परिवार के साथ बरेली में तीन और परिवारों के चार लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई है। इनमें दो परिवारों में पाकिस्तान के सिंध निवासी दो महिलाएं शामिल हैं।

Leave a reply