दिल दहला देने वाले अत्याचारों की बानंगी ने उसे बना दिया था क्रूर, और एक दस्यु सुंदरी बन गई खौफ का दूसरा नाम
डकैत और सांसद रही फूलन देवी की मौत को 16 साल हो गए हैं। 25 जुलाई, 2001 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अब भी उसका नाम लेते ही चंबल के लोग सिहर जाते हैं। फूलन देवी को कई लोग खतरनाक डकैत तो कई लोग रॉबिनहुड मानते थे।
-1976 से 1983 तक चंबल के बीहड़ में फूलन ने राज किया। बेहमई कांड के बाद उसने 12 फरवरी, 1983 को मध्य प्रदेश के भिंड में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने अपनी शर्तों पर आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में वह राजनीति में आईं और सांसद बनीं।
-फूलन ने बचपन से लेकर डकैत बनने तक जिस हालात का सामना किया वह दिल दहला देता है। इन हालातों ने फूलन को इतना कठोर बना दिया कि उसने बदला लेने के लिए बेहमई में एक साथ लाइन में खड़ा कर 22 ठाकुरों को मौत के घाट उतार दिया था।
-डकैत विक्रम मल्लाह ने दिया फूलन को सहारा
डकैत से सांसद बनी फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गांव गोरहा में हुआ था। 11 साल की उम्र में ही उसकी शादी हो गई। पति व परिवार वालों ने अकेला छोड़ दिया।
-इसके बाद उसके साथ कई बार सामूहिक ज्यादती हुई। दस्यु सरगना श्रीराम और उसका भाई लाला राम फूलन को जबरन अपने साथ ले गया। यहां भी उसके साथ ज्यादती हुई।
-इस गिरोह के ही सदस्य विक्रम मल्लाह से फूलन को प्यार हो गया और उसने बाद में फूलन के साथ मिल कर अलग गिरोह बना लिया।
- जब फूलन महज 11 साल की थीं, तब उसके पिता ने 30 साल के पुट्टी लाल से शादी कर दी।
- फूलन देवी ने एक इंटरव्यू में बताया था, "मेरे पति ने शादी की पहली ही रात मेरे साथ जबरदस्ती संबंध बनाए थे। मैं तब महज 11 साल की थी और सेक्स के लिए तैयार नहीं थी। यौन शोषण की वजह से मेरी तबीयत खराब हो गई और मुझे अपने घर लौटना पड़ा।"
- पहली रात हुए रेप के बाद फूलन अपने पति के खिलाफ हो गई थी। वह दोबारा उसके पास लौटना नहीं चाहती थी, लेकिन तबीयत ठीक होते ही उसके पिता ने उसे फिर से पति के घर भेज दिया।
पति ने छोड़ा,हुई बदनाम
- पहली रात हुए अत्याचार से आहत फूलन में विद्रोही तेवर साफ नजर आने लगे थे। पति ने उसके रवैये को देखते हुए उसे छोड़ने का फैसला कर दूसरी शादी कर ली। पति द्वारा छोड़े जाने की वजह से लोग फूलन को हीनता से देखने लगे।
- जब फूलन महज 16 साल की थी। उसका कुछ डकैतों ने हत्या के मकसद से किडनैप किया था। डकैतों को गांव के मुखिया ने ऐसा करने के लिए पैसे दिए थे।
- जब डकैतों ने देखा कि उनका शिकार एक लड़की है, तो उन्होंने उसे जिंदा छोड़ दिया। फूलन देवी अब उन्हीं डकैतों के साथ रहने लगी और उनके ग्रुप से जुड़ गई।
- उसी गुट में फूलन की मुलाकात विक्रम मल्लाह से हुई। मल्लाह फूलन देवी की जाति का था, इसलिए दोनों में जल्दी ही अच्छी दोस्ती हो गई।
- गुट का सरदार बाबू गुर्जर फूलन देवी के साथ संबंध बनाना चाहता था, लेकिन विक्रम मल्लाह ने उसे बचा लिया। यही नहीं, विक्रम ने बाबू गुर्जर का खून कर दिया और खुद गुट का सरदार बन गया।
-फूलन विक्रम के साथ रहने लगी, लेकिन डकैत श्रीराम को यह साथ नहीं भाया। एक दिन मुठभेड़ में श्रीराम गिरोह ने विक्रम को मार दिया और फूलन को उठाकर ले गए।
- श्रीराम और उसके साथी फूलन को नग्न अवस्था में ही रस्सियों से बांधकर नदी के रास्ते बेहमई गांव ले गए।
नंगा कर पूरे गांव में घुमाया
- श्रीराम और उसके साथियों ने मिलकर उसे पूरे गांव में नंगा घुमाया। सबसे पहले श्रीराम ने रेप किया। फिर बारी-बारी से गांव के लोगों ने रेप किया।
- श्रीराम और उसके साथियों ने फूलन देवी को लाठियों से घायल किया और फिर रेप किया। यह सिलसिला कई दिनों तक चला।
डकैतों के इतिहास का सबसे बड़ा कत्लेआम
- फूलन देवी बदले की आग में जल रही थी। 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी ने बेहमई में लूट-पाट के मकसद से हमला किया। लूट के दौरान फूलन ने अपने दो रेपिस्टों को पहचान लिया।
- उसने लगभग 22 ठाकुरों को घेरकर सरेआम गोलियों से भून दिया। इस कत्लेआम के कारण यूपी की राजनीति में काफी हंगामा हुआ था।
-फूलन देवी ने 1983 में आत्मसमर्पण किया और 1994 तक जेल में रहीं। इस दौरान कभी भी उन्हें उत्तर प्रदेश की जेल में नहीं भेजा गया।
-आत्मसमर्पण के लिए जब फूलन देवी लाल रंग का कपड़ा माथे पर बांधे और हाथ में बंदूक लिए मंच की तरफ़ बढ़ीं थीं तो सबकी सांसें जैसे थम-सी गई थीं। 'कहीं फूलन यहां भी तो गोली नहीं चला देगी।
-कुछ ही लम्हों में फूलन देवी ने अपनी बंदूक माथे पर छुआकर फिर उसे अर्जुन सिंह के पैरों में रख दिया। इसी घड़ी फूलन देवी ने डाकू की जिंदगी को अलविदा कह दिया था।
-आत्मसमर्पण के बाद उसने बिना मुकदमा चलाए ग्यारह साल जेल में बिताए। फूलन ने रिहाई के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया था। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता।
-1994 में शेखर कपूर ने फूलन देवी की जिंदगी पर फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई। इस फिल्म पर काफी विवाद हुआ। फूलन ने भी इसके कई दृश्यों पर आपत्ति की थी। काफी काट-छांट के बाद यह फिल्म सिर्फ एडल्ट लोगों के लिए रिलीज की गई।
-जेल से छूटने के बाद फूलन ने एक नेता उम्मेद सिंह से शादी भी की। फूलन की मौत तक उम्मेद साथ रहा। बाद में उसने राजनीति भी छोड़ दी।
-25 जुलाई 2001 को संसद का सत्र चल रहा था। दोपहर के भोजन के लिए संसद से फूलन 44 अशोक रोड के अपने सरकारी बंगले पर लौटीं। बंगले के बाहर सीआईपी 907 नंबर की हरे रंग की एक मारुति कार पहले से खड़ी थी।
-जैसे ही फूलन अपने घर की दहलीज पर पहुंची, पहले से उनका इंतजार कर रहे तीन नकाबपोश अचानक कार से बाहर आए और फूलन पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां दाग दी। एक गोली फूलन के माथे पर जा लगी। गोलीबारी में फूलन देवी का एक गार्ड भी घायल हो गया।
-इसके बाद हत्यारे उसी कार में बैठकर फरार हो गए। 27 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने बाकायदा पत्रकार वार्ता कर सबको सकते में डाल दिया। उसने कबूल किया कि उसी ने फूलन देवी की हत्या की है।