राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का आज होगा कार्यकाल खत्म, राष्ट्रपति के रूप में करेंगे आखिरी बार देश को संबोधित
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की औपचारिक विदाई हो चुकी है और आज शाम 7.30 बजे वो आखिरी बार देश के नाम अपना संबोधन देंगे। इसके बाद 25 जुलाई को शपथ लेते ही रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन जाएंगे।
इससे पहले प्रणब दा ने संसद में अपने आखिरी भावुक विदाई भाषण के दौरान मोदी सरकार को अध्यादेश लाने से बचने की नसीहत देने में हिचक नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि केवल बेहद जरूरी परिस्थितियों में ही अध्यादेश लाया जाना चाहिए। इतना ही नहीं वित्तीय मामलों में तो अध्यादेश का रास्ता बिलकुल नहीं अपनाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने संसद में बिना चर्चा के ही विधेयक पारित करने पर चिंता जताते हुए कहा कि यह जनता काविश्वास तोड़ता है। वहीं, हंगामे के कारण संसद के बाधित होने पर भी उन्होंने कहा कि इसकी वजह से सरकार से ज्यादा नुकसान विपक्ष का होता है।
संसद के केंद्रीय कक्ष में भावपूर्ण विदाई समारोह के दौरान प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद का सत्र नहीं चलने के दौरान तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यपालिका को अध्यादेशों के जरिए कानून बनाने के असाधारण अधिकार दिए गए हैं। मगर उनका दृढ़ मत है कि अध्यादेश केवल बाध्यकारी परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिए। खासकर उन विषयों पर तो अध्यादेश बिलकुल नहीं लाना चाहिए जिन पर संसद या संसदीय समिति विचार कर रही हो या जिन्हें संसद में पेश किया गया हो।
निवर्तमान राष्ट्रपति ने बिना चर्चा के विधेयक पारित होने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की सलाह देते हुए कहा कि जब संसद कानून निर्माण की अपनी भूमिका निभाने में विफल हो जाती है या बिना चर्चा के कानून लागू करती है तो वह जनता द्वारा व्यक्त विश्वास को तोड़ती है।
प्रधानमंत्री की सराहना
प्रणब ने राष्ट्रपति के रूप में संविधान की रक्षा की ली गई शपथ की याद दिलाते हुए कहा कि पांच वर्षों में शपथ को शब्दशः ही नहीं इसकी मूल भावना के साथ संविधान के संरक्षण और सुरक्षा का प्रयास किया। इस कार्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह और सहयोग का उल्लेख करना वह नहीं भूले और कहा कि इसका उन्हें काफी लाभ मिला।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर सेवामुक्त होने के साथ ही वे संसद का हिस्सा नहीं रहेंगे मगर उदासी के भाव और रंग-बिरंगी स्मृतियों के साथ वे इस भव्य भवन से प्रस्थान कर रहे हैं। मेजों की थपथपाहट और अंत में खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सांसदों ने प्रणब मुखर्जी की गर्मजोशी से विदाई की।
लोस अध्यक्ष ने पढ़ा अभिनंदन पत्र
इससे पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सभी सांसदों की ओर से उनका अभिनंदन पत्र पढ़ा। इसमें उनके शानदार राजनीतिक जीवन, प्रशासनिक योगदान और संसदीय जीवन में गुरु की भूमिका निभाने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति के रूप में संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के अमूल्य योगदान की सराहना की गई। इस दौरान सभी सांसदों के हस्ताक्षर वाली एक पुस्तिका के साथ स्पीकर ने यह अभिनंदन पत्र भी उन्हें सौंपा।
अंसारी ने किया योगदान का जिक्र
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि देश के शासन में प्रणब दा के अमूल्य योगदानों का जिक्र किए बिना उनका अभिनंदन अधूरा होगा। अंसारी ने इस क्रम में राज्यपालों के लिए मुखर्जी की ओर से पिछले हफ्ते आयोजित विदाई भोज में उन्हें दी गई नसीहत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने राज्यपालों से साफ कहा कि हमारा संविधान ऐसा है, जिसमें दो कार्यकारी अथॉरिटी नहीं हो सकते। राज्यपालों की भूमिका केवल मुख्यमंत्री को सलाह देने तक सीमित है।