सीमा विवाद को लेकर चीन अपना रहा अक्रामक रूख, भारत-चीन परिस्थितियां असामान्य
भारत- चीन सीमा विवाद पर चीन का अडि़यल रुख बना हुआ है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने इस बारे में संसदीय समिति को बताया कि डोकलाम विवाद को लेकर चीन का रुख आक्रामक रहा है. चीन सीमा को भी गलत तरीके से पेश कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए राजनयिक माध्यम से चीन के साथ बातचीत का प्रयास कर रहे हैं.
संसदीय समिति में मौजूद एक सदस्य ने बताया कि जयशंकर प्रसाद ने हम लोगों को बताया कि हालिया टकराव को लेकर चीन की आक्रामकता और वाकपटुता असामान्य है लेकिन स्थिति इतनी जटिल नहीं है, जैसा कि एक धड़े की तरफ से पेश की जा रही है.
उन्होंने विश्वास जताया कि इस विवाद पर राजनयिक तरीके से बात करना जारी रखेंगे. विदेश सचिव ने समिति को बताया कि सीमा को लेकर भारत और चीन ने अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है लेकिन वे उसका गलत अर्थ लगा रहे हैं, जिसे भारत स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने कहा कि एक एंग्लो-चीनी समझौते के अनुसार वर्ष 1895 से अब तक भारत के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है. एक अन्य सदस्य ने बताया कि विदेश सचिव ने ‘युद्ध जैसी स्थिति या विवाद’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया बल्कि डोकलाम की हालिया स्थिति के वर्णन के लिए उन्होंने ‘टकराव’ शब्द का इस्तेमाल किया.
दोनों सदस्यों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी क्योंकि यह बैठक गोपनीय थी. गौरतलब है कि भारतीय सेना ने चीन की सेना को इलाके में सड़क बनाने से रोक दिया, जिसके बाद करीब एक माह से दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिली है.
बैठक के दौरान राहुल गांधी भी मौजूद थे. एक सदस्य के मुताबिक राहुल ने जयशंकर से पूछा कि क्या चीन भूटान को ये मैसेज देने की कोशिश कर रहा है कि भारत उसकी मदद नहीं करेगा? इस दौरान शशि थरूर (पैनल चेयरमैन), सीपीएम के मोहम्मद सलीम, टीएमसी के सौगत बोस और बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी मौजूद थे.
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है. यह सीमा जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है. इस बॉर्डर का एक हिस्सा (करीब 220 किलोमीटर) सिक्किम में आता है. इसी इलाके के एक सेक्शन को लेकर विवाद है.