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अमरनाथ यात्रा पर हुए आतंकी हमले के बाद सेना प्रमुख पहुंचे कश्मीर, राजनाथ सिंह ने ली उच्चस्तरीय बैठक


जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में सुरक्षा की समीक्षा के लिए मंगलवार को सेना प्रमुख कश्मीर पहुंचे. दिल्ली में सरकार के शीर्ष स्तर पर बैठकों और मुलाकातों का दौर चला. आतंकवादियों ने सोमवार रात जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की एक बस पर हमला कर दिया था जिसमें छह महिलाओं समेत सात श्रद्धालु मारे गए और 19 अन्य लोग घायल हो गए. इससे पहले वर्ष 2001 में इस वार्षिक तीर्थयात्रा पर हमला किया गया था, जिसमें 13 लोग मारे गए थे.

बस के चालक सलीम शेख गफूर ने हमले के समय सूझबूझ का परिचय देते हुए बस को तेज गति से भगाकर दर्जनों लोगों की जान बचाई. उसकी सूझबूझ की चौतरफा सराहना हो रही है. इस हमले की अमेरिका, एमनेस्टी इंटरनेशनल, भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों ने निंदा की.

'कश्मीरियत पर से यकीन को हिलाकर रख दिया है यह हमला'
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनंतनाग में अमरनाथ श्रद्धालुओं पर हुए इस हमले ने कश्मीरियत पर से यकीन को हिलाकर रख दिया है. मुख्यमंत्री ने इस घटना को ‘सभी मुसलमानों और कश्मीरियों के लिए एक धब्बा’बताया है. उन्होंने कहा, 'इस हिंसा की घटना ने कश्मीरियत के मूल्यों और संस्कृति को हिलाकर रख दिया है.' मुख्यमंत्री सोमवार रात घायलों का हाल-चाल जानने के लिए अनंतनाग के एक अस्पताल गई थीं और उन्होंने वहां पूरी रात बिताई. महबूबा ने इस हमले में मारे गए लोगो को पुष्पांजलि अर्पित की.

सेना प्रमुख ने सुरक्षा की समीक्षा की
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सोमवार सुबह श्रीनगर पहुंचे और राज्यपाल एन एन वोहरा और महबूबा सहित कई लोगों से मुलाकात की. प्रवक्ता ने कहा कि सेना प्रमुख ने श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा बैठक भी की जिसमें सेना के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य और मुख्य सचिव बी बी व्यास शामिल हुए. टेलीविजन चैनलों की खबर के अनुसार इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर अबू इस्माईल था हालांकि इस खबर की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और आतंकी हमले में सात अमरनाथ यात्रियों की मौत की पृष्ठभूमि में अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा बढ़ाए जाने का आदेश दिया.

राजनाथ सिंह ने की उच्चस्तरीय बैठक
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने घंटे भर चली बैठक में कश्मीर घाटी खासकर पवित्र गुफा की ओर जाने वाले दो रास्तों में जारी हालात का जायजा लिया. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, गृह मंत्रालय के उच्चाधिकारी, खुफिया एजेंसियों तथा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए. इसमें अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा और भविष्य में ऐसे संभावित हमलों को रोकने के उपायों पर विस्तार से चर्चा हुई.

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने अधिकारियों को यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश दिया. यात्रा 29 जून से शुरू हुई थी, इसका समापन सात अगस्त को हेागा. बैठक के तुरंत बाद, एनएसए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक में हुई चर्चा की जानकारी दी, साथ ही अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी बताया.

गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय केन्द्रीय दल अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा का आकलन करने के लिए जम्मू-कश्मीर दौरे पर है. सीआरपीएफ के महानिदेशक आर. आर. भटनागर यात्रा मार्ग पर केन्द्रीय बलों की तैनाती का निरीक्षण करने के लिए पहले ही श्रीनगर पहुंच चुके हैं. यात्रा मार्ग की सुरक्षा के लिए राज्य पुलिस बल के अलावा अर्द्धसैनिक बलों के 21,000 जवानों को तैनात किया गया है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अर्द्धसैनिक बलों के 9,500 अधिक जवान तैनात किए गए हैं.

गुजरात में दिखी नाराजगी और पीड़ा
उधर, मारे गए लोगों के शव उनके गृह राज्य गुजरात पहुंचे और पूरे गुजरात में इस घटना पर नाराजगी और पीड़ा दिखाई दी. उग्र विरोध प्रदर्शनों के बीच भावुक हुए लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस घटना का बदला लेने को कहा. भारतीय वायु सेना का हरक्युलिस विमान जब शवों और घायलों के साथ ही घटना में जीवित बचे लोगों को लेकर यहां हवाईअड्डे पर उतरा तो पूरा माहौल गमगीन था. राज्य के कई शहरों और कस्बों में उग्र प्रदर्शन देखने को मिले. हालांकि अभी तक कहीं से किसी तरह की हिंसा की कोई खबर नहीं है. आतंकवाद का पुतला जलाते हुए लोगों ने मांग की कि मोदी सरकार को इन लोगों की जान जाने का बदला लेना चाहिए और पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए.

अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वलसाड, मांडवी (कच्छ जिला) और भरूच एवं अन्य शहरों में प्रदर्शन हुए. गांधीधाम, कच्छ जिले के मांडवी और सूरत में ‘आतंक’ के पुतले जलाए गए. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने भी बस चालक सलीम की तारीफ की और कहा कि वह बहादुरी सम्मान के लिए उसके नाम की सिफारिश करेंगे.

गुजरात के मारे गये लोगों की पहचान वलसाड की हसूबेन रतिलाल पटेल, सुरेखाबेन और लक्ष्मीबेन एस पटेल, दमन की रतन जीनाभाई पटेल और नवसारी की प्रजापति चंपाबेन के तौर पर की गयी है. अन्य दो मृतक महाराष्ट्र की हैं जिनमें पालघर की निर्मलाबेन ठाकुर और दहानू की उषा मोहनलाल सोनकर हैं.

हमले में जीवित बचीं 55 साल की पल्लवी अभयंकर ने कहा कि जब आतंकवादियों ने गोली चलाना शुरू किया तो उन्हें लगा कि कोई पटाखे फोड़ रहा है. कुछ देर बाद डर से सामना हुआ जब साथ में बैठे मुसाफिरों को गोली लगी. उन्होंने भी ड्राइवर की तारीफ करते हुए कहा कि अगर वह नहीं होता तो मरने वाले ज्यादा होते. आतंकवादी हमले की खबर मिलने के बाद गुजरात में अलर्ट जारी कर दिया गया था.मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि देश ऐसी विचारधारा के आगे कभी नहीं झुकेगा.

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