जर्मनी में अनौपचारिक बैठक में पीएम मोदी-शी जिनपिंग करेंगे मुलाकात
भारत चीन के बीच सीमा पर चल रहे तनाव के बीच चर्चा है कि जल्द ही पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है.मीडिया सूत्रों के मुताबिक संभावना जताई जा रही है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्रिक्स देशों के नेताओं की अनौपचारिक बैठक के दौरान मिल सकते हैं.
चीन के उप विदेश मंत्री ली बेएडॉन्ग के अनुसार यह बैठक जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जर्मनी के हमबर्ग में होगी.माना जा रहा है कि दोनों मिलकर सीमा पर बढ़ रहे तनाव को लेकर बात कर सकते हैं और इसे कम करने की कोशिश कर सकते हैं.
आपको बता दें कि इन दिनों भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. सिक्किम से सटी चीन की सीमा पर भारत और चीन के बीच काफी समय से तनाव चल रहा है. इसी बीच भारत ने डोका ला इलाके में और अधिक सैनिकों की तैनाती भी कर दी है.
पहली बार भारत और चीन के बीच इतना लंबा गतिरोध बना हुआ है
1962 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी इलाके को लेकर भारत और चीन के बीच इतना लंबा गतिरोध बना हुआ है. पिछले लगभग महीने भर से डोका ला इलाके में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं.
भारत की तरफ से इस इलाके में और अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है. हालांकि, इन सैनिकों को नॉन-कॉम्बैटिव मोड में तैनात किया गया है. आपको बता दें कि नॉन कॉम्बैटिव मोड को गैर लड़ाकू स्थिति भी कहते हैं, जिसमें सैनिक अपनी बंदूकों की नाल को जमीन की ओर रखते हैं.
वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत और भूटान के बीच दरार डालने की कोशिश करते हुए कहा कि भारतीय सैनिक डोका ला में बिना भूटान की जानकारी के घुसे. चीन और भूटान के बीच कोई कूटनीति संबंध नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि फिर चीनी मंत्री को यह जानकारी कहां से मिली.
डोका ला इलाके में भारत की सेना कई सालों से गश्त कर रही है
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने सोमवार को कहा, 'भूटान को भारतीय सैनिकों के डोका ला में घुसने से पहले जानकारी नहीं थी.' वह भारत के बयान का खंडन करने की कोशिश कर रहे थे जिसमें भारत ने कहा था कि 16 जून को रॉयल भूटान आर्मी ने डोका ला में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के निर्माण कार्य का विरोध किया था. भारतीय सेना इसके दो दिन बाद भूटान के समर्थन में खड़ी हुई थी.
डोका ला इलाके में भारत की सेना कई सालों से गश्त कर रही है. 2012 में सेना ने यहां पर दो बंकर बनाने का फैसला किया था. 1 जून को चीन की सेना की तरफ से इन बंकरों को हटाने की चेतावनी दिए जाने के बाद 6 जून की रात को चीन के 2 बुल्डोजरों ने इन बंकरों को नष्ट कर दिया. चीन का दावा है कि वह उनका इलाका है, जिस पर भारत या भूटान का कोई हक नहीं है.