वेदांत शिक्षा के प्रसार के लिये बनेगा आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास – मुख्यमंत्री श्री चौहान
आदि शंकराचार्य की जीवनी शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल होगी
संतों ने आदि शंकराचार्य प्रकटोत्सव के लिये मुख्यमंत्री की प्रशंसा की
अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रवर्तक, सनातन धर्म के पुनरूद्धारक और सांस्कृतिक एकता के देवदूत आदि शंकराचार्य का प्रकटोत्सव आज पूरे प्रदेश में मनाया गया। सभी जिलों में आदि शंकराचार्य के जीवन और दर्शन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला आयोजित की गई। राजधानी भोपाल में विधानसभा के मानसरोवर सभागार में जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती, कांची कामकोटि पीठ की उपस्थिति में आदि शंकराचार्य का पुण्य-स्मरण किया गया। आदि शंकराचार्य के अवदान पर अपने विचार रखते हुए जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि आदि शंकराचार्य के अनुसार शांत स्वरूप धारण करने से ही कल्याण होगा।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आदि शंकराचार्य की जीवनी और सनातन धर्म के उद्धार में उनके योगदान पर आधारित पाठ्यक्रम स्कूल शिक्षा में शामिल किया जायेगा। उन्होंने आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की स्थापना करने की घोषणा करते हुए कहा कि इसके माध्यम से आदि शंकराचार्य के दर्शन एवं वेदांत शिक्षा के प्रसार की गतिविधियाँ संचालित होंगी। संत समाज मार्गदर्शन करेगा जबकि सरकार सहयोगी की भूमिका में होगी। श्री चौहान ने कहा कि विकास करने के अलावा संतों के मार्गदर्शन में नई पीढ़ी को सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कारों से शिक्षित और दीक्षित करना भी सरकार का काम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की पवित्र गुफा का जीर्णोद्धार होगा जहाँ उन्होंने अपने गुरू के मार्गदर्शन में तपस्या की थी। श्री चौहान ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने शिक्षा दी है कि सभी जीवों में एक ही चेतना का स्पंदन है। उन्होंने कहा कि वेदांत दर्शन विश्व की सभी प्रकार की वैमनस्यता और द्वंदों को दूर करने में सक्षम है।
श्री चौहान ने बताया कि ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा निर्माण के लिये अष्ट धातु संग्रहण अभियान एक जून से 30 जून तक चलेगा। उन्होंने कहा कि यदि आदि शंकराचार्य नहीं होते तो भारत का सांस्कृतिक अखंडता का वर्तमान स्वरूप भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि जब विश्व समाज विकसित और सभ्य बनने की प्रक्रिया में था इससे पहले ही भारत में वेदों की रचना हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि वेदांत दर्शन में संपूर्ण ब्रह्माण्ड के कल्याण की सोच है। भारत एक अद्भुत देश है और इसकी दर्शन परंपराएँ अनूठी हैं। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने भारत की सांस्कृतिक एकता में आने वाली सारी बाधाएँ दूर कर दीं हैं। चार पीठों की स्थापना कर उन्होंने भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। उन्होंने सांस्कृतिक अखंडता की नींव मजबूत की। अब भारत को कोई नहीं तोड़ सकता। आदि शंकराचार्य ने भारत को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत मजबूत बना दिया है। आदि शंकराचार्य के योगदान का स्मरण करते हुए पूरे प्रदेश में प्रकटोत्सव मनाने का निर्णय लिया गया है।
चिन्मय मिशन के स्वामी श्री सुबोधानंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य के प्रकटोत्सव को जनपर्व के रूप में मनाया जाना चाहिये। स्वामी गोविन्द देव गिरि ने कहा कि मध्यप्रदेश के लिये आज ऐतिहासिक दिवस है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने आदि शंकराचार्य को ज्ञान का प्रकाश दिया। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा भी इसी भूमि पर सांदीपनि आश्रम में हुई। इसी भूमि से मुख्यमंत्री श्री चौहान को नर्मदा सेवा की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान को राज्य के मुखिया के नाते अपनी जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाने के लिये कई पीढ़ियों तक याद किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक नवोत्थान हो रहा है। भविष्य में भारत आने वाला हर आध्यात्मिक यात्री चारों धामों की यात्रा करने के साथ ही मध्यप्रदेश की भी यात्रा अवश्य करेगा। उन्होंने बताया कि आदि शंकराचार्य ने वेदांत दर्शन के माध्यम से सभी प्रकार के संशयों और भ्रांतियों को दूर कर दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति को वेदांत ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य द्वारा लिखे गये भाष्य दुनिया के अद्भुत काव्य हैं जिनमें जीवन-दर्शन है। युवा पीढ़ी को इस दार्शनिक विरासत से परिचित कराने के लिये हर प्रकार का प्रयत्न किया जाना चाहिए।
हरिद्वार के स्वामी श्री परमानंद गिरि ने कहा कि आदि शंकराचार्य के दर्शन को जीने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जीव है तो ब्रह्म है और ब्रह्म होगा तो जीव होगा। आदि शंकराचार्य की वेदांत शिक्षाओं का समाज में विस्तार करना होगा। इससे सभी प्रकार के संघर्षों का समाधान मिलेगा।
आध्यात्मिक विषयों पर लेखन करने वाले विद्वान श्री विट्ठल सी. नाडकर्णी ने कहा कि मुख्यमंत्री नर्मदा सेवा यात्रा और आदि शंकराचार्य का प्रकटोत्सव मनाकर सांस्कृतिक पहचान को पुन: स्थापित किया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री राम माधव ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने उद्घोष किया था कि सब मनुष्य बराबर हैं। कोई भी मनुष्य चाहे वह किसी भी वर्ण या जाति में जन्मा हो अपने पुरुषार्थ से पांडित्य और वेदांत ज्ञान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य अप्रतिम दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने आदि शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास स्थापित करने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान की भूरि-भूरि सराहना करते हुए कहा कि यह आदि शंकराचार्य के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
भाजपा के संगठन मंत्री श्री रामलाल ने कहा कि आदि शंकराचार्य का प्रकटोत्सव मनाना अपने-आप में सराहनीय कार्य है। इसके लिये उन्होंने मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि वे मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक उत्थान के लिये भी उतने ही प्रयत्नशील है कि जितने मध्यप्रदेश के विकास के लिये। उन्होंने कहा कि भारत को सांस्कृतिक रूप से शक्तिशाली बनने की आवश्यकता है क्योंकि भविष्य में भारत को ही वेदांत दर्शन की विश्व में स्थापना करना है।
इस अवसर पर आदि शंकराचार्य के जीवन-दर्शन पर केन्द्रित वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने क्रिस्प संस्था द्वारा निर्मित वेबसाइट www.statueofculturalunity.in का लोकार्पण किया। आदि शंकराचार्य के जीवन पर केन्द्रित पुस्तिका का भी लोकार्पण किया गया। समारोह की शुरुआत ध्रुपद गायक अभिजीत सुखदाणे और साथियों द्वारा आदि शंकराचार्य रचित स्रोतों के गायन से हुई। इस अवसर पर संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री विनय सहस्रबुद्धे और बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया।
ए.एस.