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अब अपनी प्रतिभा को निखार सकेंगे ग्रामीण बच्चे, मनरेगा से प्रदेश में 13 हजार से अधिक खेल मैदान निर्मित


महात्मा गाँधी नरेगा ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक बदलाव लाने की दिशा में भी बेहतर प्रयास किये हैं। इसी क्रम में खेलों में रुचि जगाने एवं ग्रामीण प्रतिभाओं को उभारने के लिये गाँवों में खेल मैदान का विकास किया जा रहा है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में खेल मैदान विकसित करने का लक्ष्य शासन ने निर्धारित किया है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में मनरेगा से 13 हजार 153 खेल मैदान तैयार करवाये जा चुके हैं। करीब 10 हजार से अधिक मैदान तैयार करने का कार्य प्रगति पर है।

ग्रामीण क्षेत्रों में खेल मैदान विकसित करने के लिये ग्रामीण विकास विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश एवं तकनीकी मापदण्ड जिलों को भेजे गये हैं। दिशा-निर्देश के अनुसार स्कूल एवं पंचायत भवन से लगे प्रांगण खेल मैदान निर्मित करने के लिये सबसे उपयुक्त होंगे। इससे इनका उपयोग सहजता से किया जा सकेगा।

खेल मैदान 10 हजार वर्गमीटर तथा 4800 वर्गमीटर आकार के मानक अनुसार बनाये जा रहे हैं। दस हजार वर्गमीटर के खेल मैदान की लागत 3 लाख 20 हजार रुपये तथा बैठक एवं शौचालय निर्माण के लिये 3 लाख 53 हजार रुपये, इस प्रकार कुल 6 लाख 73 हजार की लागत रखी गयी है। चार हजार 800 वर्ग मीटर के मैदान की लागत रुपये एक लाख 53 हजार और बैठक एवं शौचालय निर्माण के लिये एक लाख 86 हजार 600 रुपये, इस प्रकार कुल 3 लाख 39 हजार 600 की लागत रखी गयी है।

जिन गाँवों में खेल मैदान बनाये जा चुके हैं, वहाँ ग्रामीण बच्चे विभिन्न खेलों का अभ्यास कर रहे हैं। इन मैदानों पर फुटबाल, वॉलीबाल, क्रिकेट, कबड्डी और खो-खो जैसे खेल खेले जा रहे हैं। इन खेल मैदानों पर खेलों की प्रतिस्पर्धाएँ भी स्कूलों एवं ग्रामीणों द्वारा आयोजित होने लगी हैं। गाँव में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ संसाधनों की, जिसकी पूर्ति मनरेगा योजना से की जा रही है। इससे ग्रामीण बच्चों के खेलों के प्रति रुझान बढ़ा है और उनकी प्रतिभा को उभारने के लिये सही स्थान मिल गया है।

के.के. जोशी

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