दो-पहिया महिला मैकेनिक ! वास्तविकता है अब मध्यप्रदेश में
नवाचार 'न्यू बिगनिंग'' में शामिलमध्यप्रदेश के 'महिला बाइक्स मैकेनिक्स'' नवाचार को भारत सरकार ने देश के 62 प्रमुख नवाचार में शामिल किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सिविल सेवा दिवस पर विमोचित पुस्तक 'न्यू बिगनिंग'' में इस नवाचार को प्राथमिकता दी गयी है।
जब राह मुश्किल होती है तो मुश्किलें ही राह बन जाती हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है मध्यप्रदेश के आदिवासी और दूरस्थ इलाकों की युवतियाँ, जिन्होंने ऑटोमोबाइल और मोटर-साइकिल की मरम्मत का प्रशिक्षण लिया है, जो अब तक पूरी तौर पर पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था। हाँ, आप सही समझ रहे हैं। मध्यप्रदेश के सुदूर गाँव की लड़कियाँ अब प्रशिक्षण प्राप्त कर गैरेज मैकेनिक बन रही हैं। मध्यप्रदेश खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड का यह नवाचारी प्रयास भारत में ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त कार्यक्रम है। बोर्ड ने आदिवासी और अनुसूचित-जाति की युवतियों के लिये 3 माह का एक नि:शुल्क आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। प्रत्येक कार्यक्रम की सफलता नवाचारी विचार इसके समुचित क्रियान्वयन, आवश्यक प्रशिक्षण और कौशल विकास पर निर्भर करती है। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के तत्कालीन प्रबंध संचालक ने जब एक आदिवासी युवती को, अपने भाई की साइकिल को स्वयं सुधारते देखा तो उन्हें आदिवासी युवतियों के लिये दो-पहिया वाहनों की मरम्मत का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने का विचार आया। इस विचार को कार्य रूप देने में कई चुनौतियाँ थीं। क्या युवतियाँ एक ऐसे क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहेंगी, जो अब तक सिर्फ पुरुषों के लिये ही माना जाता है, क्या उनके परिवार और समाज उन्हें इस तरह का प्रशिक्षण लेने के लिये भेजेगा। क्या युवतियाँ शारीरिक और मानसिक तौर पर इस तरह के प्रशिक्षण के लिये सक्षम होंगी। क्या वे 3 माह की निर्धारित अवधि में प्रशिक्षण को पूर्ण कर सकेगी। क्या उनमें इस संबंध में पर्याप्त आत्म-विश्वास होगा। क्या उनमें प्रशिक्षण के लिये जरूरी ऊर्जा है। क्या वे अपने परिवार और परिजनों को छोड़कर छात्रावास में रहने के लिये तैयार होंगी। क्या प्रशिक्षक उन्हें प्रशिक्षण देने में रुचि रखेंगे और क्या प्रशिक्षण के बाद युवतियाँ अपना स्वयं का उद्यम शुरू करने के लिये तैयार होंगी।
सबसे पहले सेंटर फॉर रिसर्च एण्ड इण्डस्ट्रियल स्टॉफ परफार्मेंस (क्रिस्प) का प्रशिक्षण भागीदार के रूप में चयन किया गया। अठारह जिलों से कुल 39 नामांकन प्राप्त हुए। मध्यप्रदेश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाली युवतियों को ऑटोमेटिव पार्टस व्यवसाय का कोई अंदाज नहीं था। वे सब बहुत संकोची, आत्म-विश्वास की कमी से ग्रस्त और अब तक अपने गाँव से कभी भी बाहर नहीं जाने वाली युवतियाँ थीं। प्रशिक्षण के पहले सप्ताह के बीतने तक सभी प्रशिक्षु युवतियाँ आत्म-विश्वास की धनी और पर्याप्त क्षमता वाली बन गयी।
युवतियों को मोटर मैकेनिक का प्रशिक्षण देने की योजना सराहनीय है। क्रिस्प के माध्यम से युवतियों और छात्राओं के लिये ऐसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण संचालित करेंगे, जो अब तक सिर्फ पुरुषों के क्षेत्र माने जाते हैं।
श्री दीपक जोशी
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास
एक दिक्कत फिर भी थी कि उन्हें अंग्रेजी बोलने-लिखने का अभ्यास नहीं था। ऐसे में प्रशिक्षकों ने उनके कौशल विकास, व्यक्तित्व विकास के साथ उनकी अंग्रेजी पर भी काम करना शुरू किया। एक माह बीतते न बीतते सभी प्रशिक्षु युवतियाँ ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री से संबंधित अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल की अभ्यस्त हो गयी।
प्रशिक्षण के बाद इनमें से अधिकांश युवतियाँ ऑटोमोटिव इण्डस्ट्री और वर्कशॉपों में रोजगार प्राप्त करने के लिये पूरी तरह तैयार थीं। इन सबको रोजगार भी प्राप्त हो चुका है। कुल मिलाकर मोटर मैकेनिक का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली ये युवतियाँ आज अधिक आत्म-विश्वासी, कम संकोची, ऊर्जा से भरपूर, अपने परिवार और समाज के भरपूर सहयोग के साथ नई उड़ान भरने को तैयार हैं। इनका प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरी टीम के कड़े परिश्रम से न केवल सफल हुआ है, बल्कि एक मायने में महिला सशक्तिकरण संबंधी सामाजिक जिम्मेदारी को भी पूर्ण कर पाया है।
राजेश पाण्डेय