नर्मदा की हृदय और धमनियाँ हैं वन, 2 जुलाई को अमरकंटक से बड़वानी तक रोपे जायेंगे 5.5 करोड़ पौधे
नर्मदांचल के वन, नर्मदा और इसकी सहायक नदियों के लिए हृदय और धमनियों का काम करते हैं। सतत बहने वाली गंगा-यमुना की भाँति नर्मदा में जल हिमालय के हिमनदों के पिघलने से नहीं विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतमालाओं में फैले वन से आता है। ये वन मानसूनी वर्षा का जल स्पंज की तरह सोख लेते हैं। पहाड़ों द्वारा सोखा गया जल घने वन क्षेत्रों से धीरे-धीरे रिस कर नदियों में आता रहता है और नर्मदा में सतत जलापूर्ति बनाये रखने में मदद करता है। नर्मदा जल-धारा को उत्तरोत्तर समृद्ध करने के लिए 2 जुलाई को अमरकंटक से बड़वानी तक नर्मदा तटों पर 5 करोड़ पौधे रोपे जायेंगे।
न मृता तेन नर्मदा
किसी नदी की पहली पहचान है उसका 'प्रवाह'। सदियों से सदानीरा रहने के कारण नर्मदा को 'न मृता तेन नर्मदा' कहा गया है। स्कन्द पुराण में इसे 'सप्त कल्पक्षयेक्षीणे न मृता तेन नर्मदा' अर्थात सात कल्प क्षय होने पर भी नष्ट न होने वाली नर्मदा कहा गया है। नर्मदा का जल-स्रोत हैं वन। वृक्ष नहीं होंगे तो वन नहीं होंगे तो नर्मदा नहीं बचेगी। माँ नर्मदा जीवन-रेखा होने के साथ प्रदेश को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाती है। यह पेयजल, सिंचाई और बिजली देती है। नर्मदा की धारा को अविरल बनाने का मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आरंभ अभियान आज पर्यावरण के क्षेत्र में विश्व का ध्यान आकृष्ट कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान की नर्मदा सेवा यात्रा देगी दूरगामी परिणाम
जंगलों की यदि दशा बिगड़ी तो नर्मदा और उसकी सहायक नदियों के लिए भविष्य में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। वर्ल्ड रिर्सोसेज इंस्टीटयूट, वाशिंगटन के अनेक नदी बेसिन में कराए गए अध्ययन 'पायलट एनालिसिस ऑफ ग्लोबल इको सिस्टम'' में नर्मदा को विश्व के सबसे ज्यादा संकटग्रस्त बेसिनों में से एक माना गया है जिनमें साल के सबसे शुष्क 4 माह में वार्षिक प्रवाह का 2 प्रतिशत से भी कम रह जाता है। यदि अभी से उपाय नहीं किए गए तो नदी बेसिन में रहने वालों को 2025 आते-आते जरूरी पानी की मात्रा भी कठिनाई से मिलेगी।
भारत के जनगणना निदेशक द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार नर्मदा अंचल के जिलों की कुल आबादी, जो वर्ष 1901 में 65.69 लाख और 2001 में 3.31 करोड़ थी, वह वर्ष 2026 में बढ़कर 4.81 करोड़ हो जाने का अनुमान है। इसीलिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 'नमामि देव नर्मदे'-सेवा यात्रा के रूप में उठाया गया कदम एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है।
नर्मदा सेवा यात्रा आज मण्डला से रसैयादोना होते हुए लिंगापोड़ी पहुँची। दोनों ही जगह स्थानीय जन-प्रतिनिधियों ने ध्वज ग्रहण के साथ कलश का पूजन किया। महिला और कन्या ने सिर पर कलश रखकर बाजे-गाजे और 'नर्मदे हर'' उदघोष के साथ यात्रा की अगवानी की। यात्रा में साधु-संत, समाज सेवी के साथ बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। आज यात्रा का 128वाँ दिन है।
सुनीता दुबे/मुकेश दुबे