मनरेगा जिन्दगी के साथ भी, जिन्दगी के बाद भी
शांतिधाम से गाँवों में अंतिम संस्कार करना हुआ आसान
मनरेगा से जहाँ एक ओर लोगों को रोजगार के अवसर, आजीविका के साधन के साथ-साथ मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अंतिम संस्कार के लिये बेहतर इंतजाम करके ''जिन्दगी के साथ भी, जिन्दगी के बाद भी'' को भी चरितार्थ किया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र में अंतिम संस्कार की समुचित व्यवस्था न होने से ग्रामीणों को अंतिम क्रिया के दौरान खासतौर से बरसात के मौसम में होने वाली दिक्कतों का समाधान किया है, मनरेगा की शांतिधाम उपयोजना ने। मनरेगा से बन रहे शांतिधाम में शेड के साथ शवदाह के लिये प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। साथ ही शांतिधाम के चारों ओर सुरक्षा के भी इंतजाम किए जा रहे हैं। इस कार्य से ग्रामीणों को रोजगार भी मिला और अंतिम संस्कार के लिए माकूल इंतजाम भी।
मध्यप्रदेश में मनरेगा की शांतिधाम उपयोजना से लगभग 10 हजार से अधिक शांति-धाम/कब्रिस्तान निर्माण का काम पूरा हो चुका है। वहीं 21 हजार से अधिक स्वीकृत कार्य निर्माणाधीन है। हर गाँव में शांति-धाम/कब्रिस्तान बनाया जाना सरकार की प्राथमिकता में है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा नये निर्देश जारी किये गये हैं। अब प्रत्येक ग्राम में आबादी के हिसाब से कम से कम एक शांति-धाम/कब्रिस्तान बनाया जाना है। जनगणना 2011 के अनुसार दो हजार से कम आबादी वाले ग्रामों में एक प्लेटफार्म तथा दो हजार से अधिक अधिक आबादी वाले ग्रामों में दो प्लेटफार्म वाले शांति-धाम का निर्माण होगा। एक प्लेटफार्म वाले शांति-धाम की लागत एक लाख 80 हजार तथा दो प्लेटफार्म के शांति-धाम की लागत 2 लाख 45 हजार रूपये निर्धारित की गयी है।
पानी की व्यवस्था के लिए हेंडपंप सहित टंकी बनवाने के लिए एक लाख रूपये लागत आयेगी। इसकी व्यवस्था सांसद, विधायक-निधि, जिला एवं जनपद पंचायतों को दिये जाने वाले मूलभूत अनुदान, पंचायत कर एवं शुल्क से आय तथा जन-सहयोग से की जा सकेगी।
शांति-धाम उपयोजना से अंतिम संस्कार के लिये चबूतरा, छाया के लिये शेड के साथ-साथ अंतिम संस्कार स्थल तक आवागमन का रास्ता, पानी का इंतजाम तथा शांति-धाम की सुरक्षा के भी इंतजाम करवाये गये हैं।
केके जोशी