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शासकीय स्कूलों के बच्चों ने तैयार किये "आस-पास की खोज" कार्यक्रम में प्रोजेक्ट


मिडिल स्कूल के 62 हजार से अधिक छात्रों की रही भागीदारी 
 
प्रदेश में सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों में सृजन और पहल को विकसित करने के लिये स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य शिक्षा केन्द्र ने शिक्षण सत्र 2016-17 में 'आस-पास की खोज' प्रोजेक्ट शुरू किया। प्रोजेक्ट में चयनित 3100 सरकारी मिडिल स्कूल के करीब 65 हजार बच्चों की भागीदारी रही।

बच्चों ने शिक्षकों के मार्गदर्शन में स्थानीय संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज, ऐतिहासिक धरोहरों का अध्ययन कर प्रोजेक्ट तैयार किये। बच्चों के प्रोजेक्ट का मूल्यांकन राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा किया गया। श्रेष्ठ प्रोजेक्ट को पुरस्कार भी दिया जायेगा। प्रोजेक्ट में बच्चों को ऐतिहासिक धरोहरों, लोक-संस्कृति, लोक-गीतों, तीज-त्यौहारों, स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, क्षेत्र में उगाई जाने वाली फसलों और औषधि वाले पौधों की जानकारी दी गई।

आकर्षक रहे प्रोजेक्ट
मंदसौर जिले के तहसील भानपुरा के शासकीय माध्यमिक विद्यालय कुन्तलखेडी के छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट में गाँधी सागर बाँध के मॉडल को शामिल किया। गाँधी सागर बाँध इंजीनियरिंग का बेमिसाल नमूना माना जाता है। इसके अलावा छात्रों ने प्रोजेक्ट में मंदसौर जिले की अफीम खेती को भी शामिल किया। जिले के चयनित गाँव में सरकार द्वारा अफीम की खेती के पट्टे दिये जाते हैं।

सीहोर जिले की इछावर तहसील के झालकी माध्यमिक विद्यालय के छात्रों ने प्रोजेक्ट में विज्ञान पहेलियों को शामिल करते हुए इछावर तहसील में प्रचलित स्थानीय कहावतों और लोकोक्तियों को शामिल किया। छात्रों ने झालकी गाँव के नजदीक देवपुरा के भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को अपने प्रोजेक्‍ट में शामिल किया।

मंदसौर जिले के गरोठ विकासखण्ड के माध्यमिक विद्यालय, आवरा के बच्चों ने आवरा किले को प्रोजेक्ट में शामिल किया है। यह किला जल दुर्ग के नाम से विख्यात है। करीब 200 वर्ष पुराना यह किला जिले के पुरातत्वीय स्थलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

राज्य शिक्षा केन्द्र के अधिकारी श्री ब्रजेश सक्सेना और डॉ. अशोक व्यास का मानना है कि माध्यमिक स्कूलों में आस-पास की खोज कार्यक्रम से बच्चों में जिज्ञासा बढ़ाने और व्यक्तित्व विकास करने का मौका मिला है।

मुकेश मोदी

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