ग्वालियर मॉडल को अपनायें पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समितियाँ
लिंगानुपात सुधार के लिये केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी ने ग्वालियर को किया पुरस्कृत
पीसीपीएनडीटी राज्य-स्तरीय समीक्षा बैठक सम्पन्न
पीसीपीएनडीटी की जिला सलाहकार समितियाँ ग्वालियर मॉडल को अपनाते हुए प्रदेश में लिंगानुपात सुधारने के लिये कारगर कदम उठायें। ग्वालियर को लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार के लिये केन्द्रीय महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी ने इसी वर्ष जनवरी में पुरस्कृत किया था। ग्वालियर के पूर्व कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, श्री पी. नरहरि, डॉ. संजय गोयल और जिला-स्तरीय सलाहकार समिति की सतत तत्परता ने लिंगानुपात प्रति एक हजार बालक पर 881 बेटी से 931 पर पहुँचा दिया है, जो प्रदेश ही नहीं देश में भी उल्लेखनीय है। यह निर्देश आज पीसीपीएनडीटी की एक-दिवसीय कार्यशाला में जिला सलाहकार समितियों को दिये गये। खासतौर से उन 22 जिला समितियों के पदाधिकारियों को बुलाया गया, जहाँ लिंगानुपात में 20 से अधिक अंकों तक की गिरावट आयी है। रीवा में सर्वाधिक 41 अंकों की गिरावट आयी है। वहीं हरदा और भिण्ड जिलों में इस वर्ष कोई गिरावट नहीं आयी।
ग्वालियर की सलाहकार समिति की नोडल अधिकारी डॉ. बिन्दु सिंघल ने बताया कि ग्वालियर में हर माह के तीसरे सोमवार को शाम 5 बजे अनिवार्य रूप से पीएनडीटी सेल की बैठक होती है। जन-जागरूकता के लिये जिले की 13 प्रतिभाशाली बालिकाओं को ब्रॉण्ड एम्बेसडर बनाकर कैलेण्डर, पेम्फलेट्स और होर्डिंग्स लगाये गये हैं। बेटियाँ समाज में प्रेरणा बनी हैं। सोनोग्राफी केन्द्रों के निरीक्षण के लिये 32 टीम कार्यरत हैं। पीएनडीटी अधिनियम का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। समय-समय पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्रतिभाशाली बेटियों का सम्मान भी किया जाता है।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में 13 जिले और जुड़ेंगे
प्रमुख सचिव महिला सशक्तीकरण श्रीमती जयश्री कियावत ने बताया कि 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान'' में 13 नये जिले जुड़ेंगे। कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये जनवरी-2015 से देश के 100 जिलों में आरंभ योजना में प्रदेश के भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर और दतिया जिले को शामिल किया गया था। श्रीमती कियावत ने कहा कि वर्ष 1961 में लिंगानुपात प्रति हजार बालक पर 976 था, जो अब घटकर 952 रह गया है। शिक्षा बढ़ने के साथ लिंगानुपात भी घट रहा है, जो चिन्तनीय है।
पीएनडीटी के राज्य समुचित प्राधिकारी डॉ. बी.एम. चौहान ने कहा कि जिले कड़ाई से अधिनियम का पालन, निरंतर निरीक्षण और कार्रवाई सुनिश्चित करें। डॉ. चौहान ने कहा कि मात्र प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ही नहीं समाज की सहभागिता से ही इस बुराई को दूर किया जा सकता है। डॉ. चौहान ने कहा कि हर साल 19 लाख गर्भवती महिलाओं का पंजीयन होता है, जिसमें लगभग 15 लाख प्रसव होते हैं। कानूनी रूप से एक से डेढ़ लाख गर्भपात होते हैं। अत: जिला पीएनडीटी समितियाँ चौकस रहकर कड़ाई से कानून का पालन करवायें। राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वंदना शर्मा ने कहा कि जिलों में समितियाँ सशक्त हों और कड़ाई के साथ निर्णय लें।
सुनीता दुबे